अब कई कसौटियों पर परखे जाएंगे जिलों बीएसए, अब देना होगा 16 बिंदुओं पर अपने कामकाज का ब्यौरा

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : जी हुजूरी, गणोश परिक्रमा और प्रबंध कौशल के जरिये वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि में उत्कृष्ट दर्ज कराते आये जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को अब कई कसौटियों पर परखा जाएगा। अब उनके वार्षिक मूल्यांकन का आधार उनका कामकाज होगा।
वार्षिक मूल्यांकन के लिए 16 बिंदुओं पर अपने कामकाज का ब्योरा भी उन्हें खुद देना होगा।

मसलन उन्हें बताना होगा कि 2016-17 में उनके जिले में कितने ड्राप आउट बच्चे चिह्न्ति किये गए और अगले सत्र में उनमें से कितनों का नामांकन कराया गया। वित्तीय स्वीकृतियों का कितना उपभोग हुआ। स्कूलों में बच्चों के आधार नामांकन की क्या स्थिति है। पिछले दो सत्रों में इसमें कितनी वृद्धि हुई। उन्हें यह भी बताना होगा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले की क्या स्थिति रही। अदालतों में दाखिल कुल वादों के सापेक्ष कितने मामलों में प्रतिशपथपत्र दाखिले किये गए। बाकी में प्रतिशपथपत्र नहीं लगाने का कारण भी उन्हें बताना होगा। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में जिले की उपलब्धि की कसौटी पर भी उन्हें परखा जाएगा। जुलाई 2017 और मार्च 2018 में जिले में अध्यापकों की उपस्थिति क्या रही, इसका लेखा-जोखा भी देना होगा।

जुलाई 2017 और मार्च 2018 में छात्र-छात्रओं की औसत उपस्थिति का विवरण भी उन्हें देना होगा। यह भी बताना होगा कि जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक बीएसए ने कितने निरीक्षण किये और उनमें से कितनी निरीक्षण रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की। उन्हें जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से किये गए निरीक्षण की कसौटी पर भी परखा जाएगा।

बीएसए ने जिले में कितनी स्मार्ट कलास/प्रोजेक्टर युक्त विद्यालय के लिए पहल की, इसका ब्योरा भी उन्हें देना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि विभाग से संबंधित कितने ऑनलाइन पोर्टल की उन्हें जानकारी है और इनमें से कितने पोर्टल वे खुद चलाते हैं। बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ.सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी बीएसए को इन बिंदुओं पर अपना-अपना लेखा-जोखा 25 अप्रैल तक ई-मेल से भेजने का निर्देश दिया है।’वार्षिक मूल्यांकन के लिए 16 बिंदुओं पर देना होगा कामकाज का ब्योरा

’निदेशक बेसिक शिक्षा ने 25 अप्रैल तक मांगी रिपोर्ट

यह प्रक्रिया इसलिए अपनायी जा रही है ताकि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों का वार्षिक मूल्यांकन तथ्यपरक आधार पर हो। इससे मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठता आएगी।1-डॉ.सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, निदेशक, बेसिक शिक्षा