शून्य रिक्तियों वाले 24 जनपद एस्पेशल्ली गोंडा में कॉउंसलिंग कराने वाले बिल्कुल पैनिक न करें - AG

*0 रिक्तियों वाले 24 जनपद एस्पेशल्ली गोंडा में कॉउंसीलिंग कराने वाले बिल्कुल पैनिक न करें - AG*

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1) सोशल मीडिया में समाचार हैं कि गोण्डा के 55 लोगों ने गोण्डा जनपद में 12460 की प्रक्रिया पर रोक की मांग के लिए स्टे ऍप्लिकेशन लगाई है। स्टे ऍप्लिकेशन की कॉपी से स्पष्ट है उन्होंने केवल गोण्डा के लिए मांग की है।
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*2) साथ ही उनके द्वारा जो याचिका दाखिल की गयी है SERS 11375, 11389/2018 उसमें प्रेयर से साफ है वो चाहते है कि फर्स्ट कॉउंसीलिंग बस गोण्डा जनपद से ट्रेंड BTCians, DBTCians की हो और फ्रेश कटऑफ डिक्लेअर हो। बाहरी जनपद यानी 0 रिक्तियों वाले 24 जनपदों से BTC धारियों को गोण्डा की फर्स्ट कॉउंसीलिंग से बाहर रखा जाए और उन्हें पद रिक्त होने पर सेकंड कॉउंसीलिंग में अवसर मिले फर्स्ट में नहीं।*
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3) समाचार यह है कि गोण्डा में प्रथम कॉउंसीलिंग कराने वाले 24 जनपदों के नियुक्ति पत्र वितरण पर रोक लगा दी गयी है। ऑर्डर आने पर ही सब स्पष्ट होगा।
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*4) इन्होंने अपनी मांग के लिए प्रशिक्षण जनपद आवेदन बाध्यता के नियम 14(1)(a) का सहारा लिया है। इस नियम अनुसार किसी जनपद में बस उसी जनपद से प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित किये जाने का प्रावधान है।*
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5) इस सब से घबराने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है जब तक ऑर्डर न आये तब तक कम से कम आप पैनिक न करें। ऐसा एडवर्स आर्डर जज को मिसलेड करके करवाया गया है। मजबूती से लड़ेंगे तो यह स्टे वेकेट हो जायेगा।
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*6) इसी तरह का केस 16448 भर्ती में सोनभद्र से अरविन्द कुमार चौहान द्वारा दाखिल किया गया था (रिट A 34577/2016)। इनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा जी को इंगेज किया गया था तब भी ऐसा एडवर्स ऑर्डर नही हुआ था। 0 रिक्तियों वाले हापुड़, जालौन, बागपत वाले सेंकडो लोग 16448 में नौकरी कर रहे हैं।*
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7) इसी तरह भदोई से विनयकुमार गुप्ता ने अपनी याचिका 3299/2017 में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे के माध्यम से सिमिलर रिलीफ मांगी थी उसमें भी ऐसा ऑर्डर नहीं हुआ था।
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*8) 16448 भर्ती इसी मेटर के कारण राहुल श्रीवास्तव की याचिका 31594/2016 के अधीन है।*
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9) 24 जनपदों के अभ्यर्थियों को डरने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। आप इस आर्डर का वेट कीजिये और यदि रोक है तो इसके अगेंस्ट स्पेशल अपील डिफेक्टिव फ़ाइल करने की तैयारी कीजिये।
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*10) 1981 नियमावली में शून्य रिक्तियां होने पर उनके आवेदन कहाँ और कैसे लिए जाएंगे इस विषय मे कुछ भी उल्लिखित नहीं है। बस पार्ट 4 में नियम 6 में यह कहा गया है कि*
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Provided also that where after successful completion of a course of training prescribed for teachers of basic schools, a candidate could not get appointment due to non-availability of vacancy in the district, the period he has remained unappointed shall not be counted for the calculation of his age if he has not attained the age of more than fifty years on the date of appointment.
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11) यानी जनपद में रिक्ति उपलब्ध न होने के कारण किसी को नियुक्ति न मिल सकी हो तो उसकी आयु को नियुक्ति न मिलने तक नहीं गिना जाएगा।
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*12) यह नियम 14(1)(a) के परिपेक्ष्य में फ्रेम किया गया होगा। हम सेंकडो बार बता चुके है नियम 14(1)(a) असवैधानिक नियम है। यह संविधान के आर्टिकल 16(1), 16(2) और 16(3) का उल्लंघन करता है। इसको लेकर याचिकाएँ लंबित है जिसमें यह रूल ultravires डिक्लेअर होगा।*
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13) RTE 2009 एक्ट और NCTE नोटिफकेशन 23.08.2011 के क्लॉज़ 1(i) अनुसार मिनिमम योग्यता निर्धारित है जिसमें जनपद बाध्यता जैसी कोई वस्तु नहीं है। जो योग्य है उसे आवेदन से रोकना illegal है, इसलिये नियम 14(1)(a) illegal और unconstitutional है।
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*14) इसे 15000 भर्ती के समय ही सुधार लेना चाहिए था क्योंकि रिक्तियों से अधिक आवेदन इसी भर्ती से हुए हैं लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। भाजपा सरकार ने 21वें संशोधन द्वारा प्रशिक्षण जनपद आवेदन बाध्यता को समाप्त कर दिया है लेकिन 15000, 16448, 12460 भर्ती इसी गलत नियम से हुई है और 68500 भी 20वे संशोधन तक उपस्थित नियमों से हो रही है जिसमें जनपद आवेदन बाध्यता ज्यों की त्यों है। संशोधन टेट 2017 के revise के बाद किया जाएगा।*
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15) जब नियमावली शांत हो तब नियोक्ता को यह अधिकार है कि वे भर्ती से पहले नया रूल फ्रेम कर सकते हैं और गाइडलाइन्स का क्लॉज़ 6(ख) उसी का उदाहरण है। इसलिए कोई भी घबराये नहीं, घबराना प्रशिक्षण जनपद आवेदन बाध्यता के समर्थकों को पड़ेगा।
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*16) Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009 के अनुपालन में NCTE ने जो मानक जारी किये हैं उनमें भी यह कहा गया है कि योग्य अभ्यर्थियों को शिक्षक चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता है।*
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17) कुछ कहते है कि कॉउंसीलिंग सब की करा लो लेकिन वरीयता उसी जनपद के अभ्यर्थियों को मिले तो उन्हें बता दें कि 09.04.2013 को 17वें संशोधन द्वारा नियम 17A को समाप्त कर दिया गया है यानी फर्स्ट कॉउंसीलिंग वालो की मेरिट लिस्ट सबको एक साथ रखकर बनाई जाएगी किसी को कोई वरीयता नहीं मिलेगी।
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*18) इधर कुछ कथित लीगल टीम वाले चंदे उगाही के हर मोमेंट को कैच करना चाहते हैं वो कह रहे हैं कि ऑर्डर आने दो 0 रिक्तियों वालो का बचाव वो करेंगे।*
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19) भोले भाले BTCians आप एक बात बताइये,
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i) नियम 14(1)(a) जो जिला वरीयता के नाम से फेमस है। ये लीगल टीम वाले कहते है कि हम इसका बचाव करेंगे। मतलब ये जिला वरीयता समर्थक हैं। ये चाहते हैं कि जो जिस जिले से बीटीसी पास है उसी जिलें में आवेदन करे।
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ii) क्लॉज़ 6(ख) इसमें 0 रिक्तियों वाले जिले के BTCIANS को किसी भी जिले में आवेदन की छूट है।
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यानी 14(1)(a) और 6(ख) अपने आप मे  एन्टी हैं।
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*20) अब ये लीगल टीम वाले कह रहे है कि हम 0 सीट्स वालो का यानी 6(ख) का भी बचाव करेंगे।*
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21) समझगये BTCians गंगाधर ही शक्तिमान है। ये धोखा किसको दे रहे है अब आप यह खुद तय कीजिये। हम इस राजनीति में पड़ते नहीं है पर BTCians को कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा मूर्ख वर्षो से बनाया जाता रहा है और वो अब भी बन रहे है।
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~AG
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PS:- राजनीति में हमको न घसीटे, हमने मात्र सत्य से अवगत कराया है।
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DISCLAIMER:- अभी तक ऑर्डर नहीं आया है अतः ऐसे आर्डर की हम पुष्टि नहीं करते।