यूपी बोर्ड की इस वर्ष की परीक्षा का दौर खत्म हो चुका है अब परिणाम
देने की तैयारी है। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा का रिजल्ट देने के साथ
ही यूपी बोर्ड प्रशासन एक अनूठा इम्तिहान देने जा रहा है। पहली बार दोनों
परीक्षाओं के 10-10 मेधावियों की उत्तर पुस्तिकाएं सार्वजनिक होनी है।
उनके
चयन के साथ ही, संबंधित कालेज, कॉपी जांचने वाले परीक्षक और बोर्ड प्रशासन
सभी पर प्रदेश भर के छात्र-छात्रओं की निगाहें होंगी।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानि यूपी बोर्ड लंबे समय से हाईस्कूल व इंटर की
परीक्षा करा रहा है। 2011 से मॉडरेशन अंक प्रणाली लागू होने से उत्तीर्ण
होने वाले परीक्षार्थियों का आंकड़ा बढ़ा और मेधावी भी अन्य बोर्डो की तरह
नब्बे फीसदी से अधिक अंक अर्जित करने में सफल रहे हैं। इस बार यूपी बोर्ड
की परीक्षाएं पहले नकल पर अंकुश लगाने को लेकर चर्चा में आई और अब परिणाम
पर लोग टकटकी लगाए हैं। योगी सरकार ने पारदर्शिता व अन्य छात्र-छात्रओं को
बेहतर करने की ओर बढ़ावा देने के लिए दोनों के 10-10 टॉपर की उत्तर
पुस्तिका सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। निर्देश है कि रिजल्ट आने के
बाद एक हफ्ते में बोर्ड प्रशासन मेधावियों की कॉपियों को वेबसाइट पर अपलोड
करे। यह कार्य पहली बार हो रहा है। सरकार का निर्देश बोर्ड प्रशासन के लिए
बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस कदम से दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था की
साख जुड़ी है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से पहले बोर्ड प्रशासन तमाम
निर्देश जारी करता है, जिसमें परीक्षक डिबार करने व गलती होने पर भुगतान से
कटौती तक के तमाम नियम बने हैं। कुछ प्रकरणों को छोड़कर परीक्षकों पर सवाल
पहले नहीं उठे हैं लेकिन, इस बार कॉपियां सार्वजनिक होने पर परीक्षक का
एक-एक अंक कसौटी पर होगा। यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि
दस-दस टॉपरों की कॉपियां सार्वजनिक करने में वरीयता क्रम के सभी दस की
उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक नहीं करनी है, बल्कि दोनों के दस-दस
छात्र-छात्रओं की ही कॉपियां वेबसाइट पर डाली जाएंगी। भले ही वह दस छात्र
या छात्र तीसरी या चौथी मेरिट तक ही मिल जाएं, क्योंकि एक-एक अंक पर कई-कई
छात्र-छात्रएं होते हैं।
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