72825 शिक्षक भर्ती मामले में हर जिले से आवेदन शुल्क वापसी आसान नहीं, आज जारी करेगा विस्तृत दिशा-निर्देश: पढें आख़िरकार क्या है मामला

प्रयागराज : पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासन में जारी आदेश पर अमल भाजपा सरकार कराने जा रही है। छह साल पहले आवेदकों ने अपने अभिभावकों की गाढ़ी कमाई का हजारों रुपये आवेदन पर खर्च किया था, वह धन वापस मिलने की उम्मीद भी अभ्यर्थी छोड़ चुके थे।
अब प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं, हालांकि हर जिले से आवेदन शुल्क वापस पाना आसान नहीं होगा, बल्कि इसके लिए भी अभ्यर्थियों को फिर से जेब ढीली करनी पड़ेगी। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव रूबी सिंह ने सोमवार को 2012 की शिक्षक भर्ती का आवेदन शुल्क वापस करने का निर्देश जारी किया लेकिन, यह स्पष्ट नहीं था कि आवेदन कब से लिए जाएंगे, अंतिम तारीख क्या है, आवेदन ऑनलाइन होगा या ऑफलाइन, क्या हर अभ्यर्थी को हर जिले की डायट पर जाना जरूरी है या एक ही आवेदन सभी जिलों में मान्य होगा? दरअसल, इस भर्ती के लिए आवेदकों की तादाद और जिलों में आवेदन की संख्या बहुत अधिक है। इस पर सचिव का कहना है कि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट प्राचार्यो के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार हो गए हैं। बुधवार को उसे जिलों में भेजने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि अभ्यर्थियों को शुल्क वापसी के आवेदन के लिए एक माह का मौका देंगे, वहीं, डायट 15 दिन में भुगतान करने की प्रक्रिया पूरी करेगा और उसके एक सप्ताह के अंदर पैसा अभ्यर्थी के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। इसमें बीएसए को भी भुगतान जांचने का जिम्मा दिया जा रहा है, क्योंकि आवेदकों की एक सूची उनके पास भी है। सचिव ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन के लिए वेबसाइट नहीं बनी है इसलिए ऑफलाइन ही आवेदन होंगे या फिर डायट अपनी आइडी पर ऑनलाइन भी ले सकते हैं लेकिन, बैंक का चालान ऑनलाइन लेने में दिक्कत हो सकती है, इसलिए ऑफलाइन आवेदन सही रास्ता होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अभ्यर्थी खुद न जाकर किसी के माध्यम से भी डायट में आवेदन करा सकते हैं।
क्या है मामला
परिषद के प्राथमिक स्कूलों की 72825 शिक्षकों की भर्ती के लिए दो सरकारों ने अलग नियमों के तहत दो बार आवेदन लिए थे। पहले 30 नवंबर 2011 को मुख्यमंत्री मायावती के निर्देश पर प्रक्रिया शुरू हुई, सूबे में सरकार बदलने पर मुख्यमंत्री अखिलेश ने पांच दिसंबर 2012 को आवेदन मांगे। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती की टीईटी मेरिट वाली भर्ती को ही पूरा करने का निर्देश दिया। ऐसे में अखिलेश यादव के समय एकेडमिक मेरिट के तहत चयन की प्रक्रिया ठप हो गई। तीन साल बाद 2015 में सपा सरकार ने ही शुल्क वापसी का आदेश दिया लेकिन, उस पर अमल नहीं हो सका था।