भारतीय संस्कृति में गुरु को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा गया है, उसे
‘गोविन्द’ से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। हाल में ही मध्यप्रदेश सरकार ने
उन्हें ‘‘राष्ट्रऋषि’’ की उपाधि देने का फैसला किया है। आधुनिक काल में
रवीन्द्रनाथ ठाकुर, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, साने गुरुजी,
सावित्रीबाई फुले और गिजुभाई जैसे महान शिक्षक हमारे देश में हुए हैं।
राधाकृष्णनजी की जन्मतिथि 5 सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा बन गई है। इस दिन हर जगह कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिनमें शिक्षकों का सम्मान किया जाता है।
लेकिन जिस तरह की हालात बन रही हैं, उसमें शिक्षकों का दर्जा तेजी से नीचे जा रहा है और अब मजबूरी में बेरोजगारी दूर करने के लिए ही, लोग शिक्षक बनते हैं। सरकारों ने चालाकी से कंजूस बनिये की तरह शिक्षकों की कई श्रेणियां बना दी हैं और एक ही काम के लिए अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है। शिक्षाकर्मी, शिक्षा मित्र, संविदा शिक्षक, अनुदेशक,अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान जैसे कई नए पदों का अविष्कार कर लिया गया है, जिनकी मुख्य बात है कम वेतन, अस्थायी नौकरी, पेन्शन की कोई गारंटी नहीं। नए शिक्षकों का वेतन अब पुराने चपरासी से आधा है।
तेजी से उपभोक्तावादी और बाजारवादी बनते हुए समाज में आज हर चीज को पैसे से तोला जाने लगा है। ऐसे समाज में ऐसे शिक्षक की इज्जत कैसे होगी ? शिक्षक भी अपना गुजारा चलाने के लिए अब आमदनी के दूसरे स्त्रोत या ज्यादा कमाई एवं स्थायित्व वाला दूसरा रोजगार ढूंढता रहता है। ऐसी हालत में शिक्षक मन लगाकर बच्चों को पढ़ाने पर कैसे ध्यान केन्द्रित कर सकेगा ?
सरकार के लिए शिक्षक सबसे फालतू बैल है, जिसे चाहे जिस काम में जोत दिया जाता है। सभी तरह के चुनाव, जनगणना, पशुगणना, गरीबी रेखा का सर्वेक्षण, अन्य सर्वेक्षण, पल्स पोलियो, मध्यान्ह भोजन, निर्माण का्र्य , दफ्तरी काम – सब काम वह करता है, बच्चों को पढ़ाने का मूल काम छोड़कर। कई प्राथमिक शालाओं में दो या तीन शिक्षक ही हैं, जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पांच कक्षाओं को एक साथ पढ़ाने का चमत्कार करके दिखाएंगे। स्कूलों व कालेजों में हजारों शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इसके बाद शिक्षा का स्तर गिरता है या बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है तो उसका ठीकरा भी शिक्षक के सिर पर ही फोड़ा जाता है।
अफसोस यह है कि बहुप्रचारित ‘‘ बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून’’ से भी ये हालात ज्यादा बदलने वाले नहीं है।
इस कानून में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता और वेतनमान की बात तो है, लेकिन वह कितना होगा, इसका निर्धारण सरकार पर छोड़ दिया है। यह भी हो सकता है कि सरकार पैरा-शिक्षकों के मौजूदा वेतन को ही न्यूनतम घोषित कर दे। इस बात की संभावना कम है कि पैरा-शिक्षकों की श्रेणियों का अंत इस कानून से होगा। कानून में शिक्षकों द्वारा ट्यूशन पर पाबंदी लगाई गई है, लेकिन शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन नहीं मिलेगा, तो वे ट्यूशन के रास्ते खोजने पर मजबूर होंगे ही।
इस कानून में शिक्षकों से गैर शिक्षणीय कार्य लिए जाने पर रोक लगाई है, किन्तु उसमें भी चुनाव, जनगणना और आपदा-राहत को अपवाद बना दिया है। यानी शिक्षकों को इन कार्यों में लगाया जाता रहेगा। इस कानून में जो न्यूनतम शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात तय किए गए हैं, उन से भी जाहिर है कि कई प्राथमिक शालाएं दो, तीन या चार शिक्षकों के साथ चलती रहेगी तथा कई माध्यमिक शालाओं में प्रत्येक विषय का एक शिक्षक भी नहीं होगा।
अर्थात् आज की दुर्व्यवस्था जारी रहेगी और शिक्षक बदनाम होते रहेंगें।
शिक्षा का तेजी से निजीकरण हो रहा है। लेकिन निजी स्कूलों में भी शिक्षक भारी शोषण का शिकार है। उसे चाहे जब प्रबंधकों द्वारा निकाला भी जा सकता है। कुल मिलाकर, शिक्षक नाम की प्रजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ता जा रहा है। अब शिक्षक की जगह नौकर, ठेका मजदूर और दिहाड़ी मजदूर रह जाएंगे।
शिक्षक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ है। शिक्षक कमजोर एवं बदहाल होगा तो शिक्षा में गिरावट आएगी ही। सरकार को इसकी परवाह नहीं है, ऐसा लगता है।
विश्व बैंक के सहयोग से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ चलाने वाली और हर बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने का कानून बनाने वाली सरकार उन बच्चों को स्थायी, प्रशिक्षति, पूरे वेतन वाले शिक्षक भी पूरी संख्या में देना नहीं चाहती। इससे सरकार की मंशा पर शंका होती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुक्त बाजार को प्रतिबद्ध सरकार शिक्षा का बाजार विकसित करने के लिए जानबूझकर सरकारी शिक्षा को बिगाड़ रही है व नष्ट कर रही है ?
गलती शिक्षकों की भी है। शिक्षा की चहुमुंखी गिरावट और सरकारी उपेक्षा का प्रतिरोध करने के बजाय कई शिक्षक भी उसी धारा में बहने लगे। शिक्षकों के बारे में कर्तव्य में लापरवाही और कामचोरी की शिकायतें आम हो चली हैं। शिक्षा और शिक्षक के इस क्षय के बारे में स्वयं शिक्षक कुछ नहीं करेगें, तो कौन करेगा ?
यदि भारत को एक आधुनिक सभ्य प्रगतिशील देश बनना है तो इन सवालों पर गंभीरता से विचार करना होगा। शिक्षकों का सम्मान एवं चरणस्पर्श की कवायद तेजी से एक रस्म-अदायगी व पाखंड में बदलती जाएगी।
इकबाल साहब की शायरी के साथ वाणी को विराम दूंगा।
वतन की फिक्र कर नादां
मुसीबत आने वाली है ।
तेरे बर्बादियों के मशवरे है आसमानों में,
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालो,
तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी दास्तानों में ।।
जयहिंद
जय शिक्षक
सादर,
अरविन्द शुक्ल,
जिलाध्यक्ष,
प्राथमिक शिक्षक संघ जौनपुर
Sponsored links :
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
राधाकृष्णनजी की जन्मतिथि 5 सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा बन गई है। इस दिन हर जगह कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिनमें शिक्षकों का सम्मान किया जाता है।
लेकिन जिस तरह की हालात बन रही हैं, उसमें शिक्षकों का दर्जा तेजी से नीचे जा रहा है और अब मजबूरी में बेरोजगारी दूर करने के लिए ही, लोग शिक्षक बनते हैं। सरकारों ने चालाकी से कंजूस बनिये की तरह शिक्षकों की कई श्रेणियां बना दी हैं और एक ही काम के लिए अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है। शिक्षाकर्मी, शिक्षा मित्र, संविदा शिक्षक, अनुदेशक,अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान जैसे कई नए पदों का अविष्कार कर लिया गया है, जिनकी मुख्य बात है कम वेतन, अस्थायी नौकरी, पेन्शन की कोई गारंटी नहीं। नए शिक्षकों का वेतन अब पुराने चपरासी से आधा है।
तेजी से उपभोक्तावादी और बाजारवादी बनते हुए समाज में आज हर चीज को पैसे से तोला जाने लगा है। ऐसे समाज में ऐसे शिक्षक की इज्जत कैसे होगी ? शिक्षक भी अपना गुजारा चलाने के लिए अब आमदनी के दूसरे स्त्रोत या ज्यादा कमाई एवं स्थायित्व वाला दूसरा रोजगार ढूंढता रहता है। ऐसी हालत में शिक्षक मन लगाकर बच्चों को पढ़ाने पर कैसे ध्यान केन्द्रित कर सकेगा ?
सरकार के लिए शिक्षक सबसे फालतू बैल है, जिसे चाहे जिस काम में जोत दिया जाता है। सभी तरह के चुनाव, जनगणना, पशुगणना, गरीबी रेखा का सर्वेक्षण, अन्य सर्वेक्षण, पल्स पोलियो, मध्यान्ह भोजन, निर्माण का्र्य , दफ्तरी काम – सब काम वह करता है, बच्चों को पढ़ाने का मूल काम छोड़कर। कई प्राथमिक शालाओं में दो या तीन शिक्षक ही हैं, जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पांच कक्षाओं को एक साथ पढ़ाने का चमत्कार करके दिखाएंगे। स्कूलों व कालेजों में हजारों शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इसके बाद शिक्षा का स्तर गिरता है या बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है तो उसका ठीकरा भी शिक्षक के सिर पर ही फोड़ा जाता है।
अफसोस यह है कि बहुप्रचारित ‘‘ बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून’’ से भी ये हालात ज्यादा बदलने वाले नहीं है।
इस कानून में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता और वेतनमान की बात तो है, लेकिन वह कितना होगा, इसका निर्धारण सरकार पर छोड़ दिया है। यह भी हो सकता है कि सरकार पैरा-शिक्षकों के मौजूदा वेतन को ही न्यूनतम घोषित कर दे। इस बात की संभावना कम है कि पैरा-शिक्षकों की श्रेणियों का अंत इस कानून से होगा। कानून में शिक्षकों द्वारा ट्यूशन पर पाबंदी लगाई गई है, लेकिन शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन नहीं मिलेगा, तो वे ट्यूशन के रास्ते खोजने पर मजबूर होंगे ही।
इस कानून में शिक्षकों से गैर शिक्षणीय कार्य लिए जाने पर रोक लगाई है, किन्तु उसमें भी चुनाव, जनगणना और आपदा-राहत को अपवाद बना दिया है। यानी शिक्षकों को इन कार्यों में लगाया जाता रहेगा। इस कानून में जो न्यूनतम शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात तय किए गए हैं, उन से भी जाहिर है कि कई प्राथमिक शालाएं दो, तीन या चार शिक्षकों के साथ चलती रहेगी तथा कई माध्यमिक शालाओं में प्रत्येक विषय का एक शिक्षक भी नहीं होगा।
अर्थात् आज की दुर्व्यवस्था जारी रहेगी और शिक्षक बदनाम होते रहेंगें।
शिक्षा का तेजी से निजीकरण हो रहा है। लेकिन निजी स्कूलों में भी शिक्षक भारी शोषण का शिकार है। उसे चाहे जब प्रबंधकों द्वारा निकाला भी जा सकता है। कुल मिलाकर, शिक्षक नाम की प्रजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ता जा रहा है। अब शिक्षक की जगह नौकर, ठेका मजदूर और दिहाड़ी मजदूर रह जाएंगे।
शिक्षक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ है। शिक्षक कमजोर एवं बदहाल होगा तो शिक्षा में गिरावट आएगी ही। सरकार को इसकी परवाह नहीं है, ऐसा लगता है।
विश्व बैंक के सहयोग से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ चलाने वाली और हर बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने का कानून बनाने वाली सरकार उन बच्चों को स्थायी, प्रशिक्षति, पूरे वेतन वाले शिक्षक भी पूरी संख्या में देना नहीं चाहती। इससे सरकार की मंशा पर शंका होती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि मुक्त बाजार को प्रतिबद्ध सरकार शिक्षा का बाजार विकसित करने के लिए जानबूझकर सरकारी शिक्षा को बिगाड़ रही है व नष्ट कर रही है ?
गलती शिक्षकों की भी है। शिक्षा की चहुमुंखी गिरावट और सरकारी उपेक्षा का प्रतिरोध करने के बजाय कई शिक्षक भी उसी धारा में बहने लगे। शिक्षकों के बारे में कर्तव्य में लापरवाही और कामचोरी की शिकायतें आम हो चली हैं। शिक्षा और शिक्षक के इस क्षय के बारे में स्वयं शिक्षक कुछ नहीं करेगें, तो कौन करेगा ?
यदि भारत को एक आधुनिक सभ्य प्रगतिशील देश बनना है तो इन सवालों पर गंभीरता से विचार करना होगा। शिक्षकों का सम्मान एवं चरणस्पर्श की कवायद तेजी से एक रस्म-अदायगी व पाखंड में बदलती जाएगी।
इकबाल साहब की शायरी के साथ वाणी को विराम दूंगा।
वतन की फिक्र कर नादां
मुसीबत आने वाली है ।
तेरे बर्बादियों के मशवरे है आसमानों में,
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालो,
तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी दास्तानों में ।।
जयहिंद
जय शिक्षक
सादर,
अरविन्द शुक्ल,
जिलाध्यक्ष,
प्राथमिक शिक्षक संघ जौनपुर
Sponsored links :
- 27 July के डेट को लेकर सभी याची निराश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- अचयनित की पीड़ा...........क्यूंकि मैं खुद एक अचयनित हूं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- बीटीसी की रद्द परीक्षा 20 मई को होगी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षा मित्रों की योग्यता पर सवाल , सुनवाई अब 27 जुलाई को : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षकों के उत्पीड़न पर लगे रोक : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- हरदोई : शिक्षामित्रों को शिक्षक पदों पर किया जाए समायोजन : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- छूटे शिक्षामित्रों को किया जाए समायोजित : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- बीईओ के जरिये तबादले का खेल , मनचाहे स्कूलों में ड्यूटी बरकरार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षा मित्रों के मुद्दे पर टली सुनवाई : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- जुलाई से बेसिक शिक्षा विभाग में व्यापक सुधार : बेसिक शिक्षा मंत्री अमहद हसन : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षकों के मृतक आश्रित बनेंगे टीचर, सीधी बीटीसी ट्रेनिंग दी जाएगी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- बीएड - टीईटी मामले में सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई अब 27 जुलाई को : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- ब्रेकिंग न्यूज़ : सुनवाई अब 27 जुलाई को , शिक्षा मित्र केस फिर से शिव कुमार पाठक 4347/2014 के साथ टैग : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती : दो हजार प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 62 शिक्षा अधिकारियों का जिला विद्यालय निरीक्षक/समकक्ष स्तर के पद पर पदोन्नति का आदेश देखें : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- परिवहन विभग में 1634 पदों पर जल्द होगी भर्ती : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 10 हजार शिक्षकों के पदों के लिए आवेदन जल्द : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- लाठीचार्ज के विरोध में कैंडिल मार्च निकाला , पुलिस की कार्यवाही को बताया अमानवीय : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 44 शिक्षक निलंबित, 48 की वेतन कटौती : बिना सूचना स्कूल से मिले गैरहाजिर, बीएसए के औचक निरीक्षण में खुली पोल : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- UPTET : आन्दोलन को और तेज करने की बनी मुहीम : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 7918 पदों पर भर्ती को जुटेंगी कंपनियां : बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के लिए लखनऊ में 16 से 19 मई तक रोजगार मेला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षकों ने बीएसए को सौंपा मांगपत्र : पदोन्नति और शिक्षामित्रों के पद रहे सुरक्षित : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- UPTET : टीईटी अभ्यर्थियों पर दर्ज मुकदमे वापस हों , इलाहाबाद में बीती तीन मई को हुए लाठीचार्ज की निंदा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 30 मई तक वापस लें बीएड काउन्सलिंग शुल्क का ड्राफ्ट : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- UGC NET: दस जुलाई को सीबीएसई कराएगी यूजीसी नेट : 12 मई तक ऑनलाइन आवेदन का मौका ’ तैयारियों के लिए मिल जाएगा दो माह का समय : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- महकमा ही काट रहा शिक्षकों की जेब: वित्त विभाग कम वेतन पा रहे वरिष्ठ शिक्षकों का भुगतान बराबर कर रहा, प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों को प्रोन्नति के दिन से नहीं मिल रहा लाभ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- प्रशिक्षु चयन हेतु जारी शाहजहांपुर की 10 वीं मेरिट कट ऑफ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- भ्रष्ट बीएसए पर कसेगी नकेल , शासन ने मांगी जानकारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षकों के 15 हजार रिक्त पदों का मामला पहुंचा न्याय विभाग : शिक्षा मित्रो ने की आपत्ति : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 2011 के टीईटी पास छात्रों का मामला संसद में : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- बेसिक शिक्षा में आज की प्रमुख ताजा खबरें : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- समस्त मेटर अब 27 जुलाई में सुने जायेंगे , इसको कहते है अपना लक पहन कर चलो : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 72825 केस की सुनवाई 27 जुलाई तक टली : देखें कोर्ट के आदेश की कॉपी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 24 फरवरी ऑर्डर : जो स्टेटस रिेेपोर्ट 6 मई कॊ सुप्रीमकोर्ट मे दाखिल की है उसके प्रमुख अंश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- नोट : जितने याची हैं सबको नियुक्ति मिलेगी , अन्यथा 1100 वाले बाहर होंगे : अरशद अली : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- बिग न्यूज़ : एप्लीकेशन लगाये सुनवाई मई में ही करवाये ,वरना याची लाभ भुल जाये : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- ब्रेकिंग न्यूज़ : UPTET केस की सुनवाई 9 मई को नही, सुनवाई 27 जुलाई तक टली : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- शिक्षामित्र समायोजन मामला : फैसला आने के बाद संभव होगा शेष शिक्षामित्रों का समायोजन : गाजी इमाम आला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- 9 मई के बाद हो जाएगा सभी अवशेष का समायोजन : गाजी इमाम आला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC