26 अप्रैल की अतिमहत्वपूर्ण सुनवाई में महज 3 दिन ही बचे , उच्चतम न्यायालय में कुल तीन बिंदुओं पर बात : एस के पाठक

26 अप्रैल की अतिमहत्व पूर्ण और यथा संभव अंतिम सुनवाई में महज 3 दिन ही बचे हुए हैं और आप सभी की तन्द्रा और उदासीनता देखकर आश्चर्य हो रहा है ।
लखनऊ में संम्पन्न हुयी मीटिंग में सर्व सम्मति से यह तय हुआ था कि वकीलों की टीम का नेतृत्व वरिष्ठ अधिवक्ता पी पी राव ठीक उसी प्रकार से करेंगे जैसे हाई कोर्ट में श्री अशोक खरे कर रहे थे ।इस निर्णय में कहीं भी किसी स्तर पर टीका टिप्पणी की गुंजाइश नहीं है ।
आज विरोधियों की तैयारी से अपनी तैयारी की तुलना कीजिये कहाँ ठहरते हैं आप ??
उच्चतम न्यायालय में कुल तीन बिंदुओं पर बात होनी है
पहली टेट की अनिवार्यता दूसरी टेट की अधिभारिता ।।
और तीसरा बिंदु इनके निर्धारण के बाद स्वतः उत्पन्न होगा की अनिवार्यता और अधिभारिता सुनिश्चित होने के पश्चात कौन बाहर जाएगा और जो बाहर जाएगा उसकी जगह कौन अन्दर आयेगा ।
गत शुक्रवार को दीपक शर्मा के जूनियर के मसले तत्पश्चात शिक्षा मित्रों के अधिवक्ता द्वारा डिटैग की प्रार्थना पर माननीय न्यायमूर्ति यू यू ललित की टिप्पणी काबिले गौर है ..........
जस्टिस ललित ने कहा डिटैग नहीं करेंगे क्योंकि दोनों मैटर एक दुसरे से कोरिलेटेड हैं ।और शिक्षमित्र मामले में हाई कोर्ट के जजमेंट के बाद कुछ बचा नहीं है और इसके पश्चात उन्होंने कहा कि सिविल अपील अर्थात हमारे आपके मामले में बहुत सारी कॉन्ट्रोवर्सी हैं और बहुत से अंतरिम आदेश पारित किए गए है इस लिए दोनों मसलों की सुनवाई उसी प्रकार होगी ।
एक बात और न्याय मूर्ति A K गोयल नयी पीठ के वरिष्ठ न्यायधीश हैं और पहली सुनवाई के पश्चात पूरे मसले पर अपनी अवधारणा विकसित करेंगे ।ठीक उसी प्रकार जैसे जस्टिस दत्तू के बाद जस्टिस दीपक मिश्रा ने बनायी थी ।
अपने पुराने साथियों को याद दिलाना चाहता हूँ याद करिये दिसम्बर 2014 का दूसरा सप्ताह जब 10 से 17 दिसम्बर के बीच पहली बार जस्टिस दीपक मिश्रा ने सप्ताह में चार बार बार सुनवाई की थी लोग इतने भय ग्रस्त थे की रातों को नींद एकदम से गायब थी ।
समय साक्षी है जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस H L दत्तू के रास्ते पर चलने के बजाय एक नई राह बनायी और उस पर चले और सिविल अपील ने लोगों को वहां पहुँचाया जहाँ किसी ने सोचा भी नहीं था ।यह किसी वकील द्वारा प्रदत्त नहीं बल्कि अनुभवजन्य ज्ञान है ।
जस्टिस गोयल और जस्टिस यू यू ललित की त्वरा शक्ति और कठोरता को देखते हुए यह तो तय ही है कि NCTE के द्वारा निर्धारित न्यूनतम अनिवार्य योग्यता जिनके पास नहीं है अर्थात जो TET पास नहीं हैं वे बाहर जाएंगे और जब वे बाहर जाएंगे तो स्कूलों में ताले नहीं लगेंगे बल्कि उनकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था होगी और इसका लाभ हमारे संघर्ष रत भाइयों को ही मिलेगा किसी और को नहीं ।
असली लड़ाई तो चयन के आधार को लेकर है क्योंकि इससे भारत के 29 राज्य और 7 केंद्र शाषित प्रदेशों में चल रही समस्त भर्तियां प्रभावित होंगी ।ये मैं नहीं कह रहा हूँ ये माननीय न्यायधीशों का कहना है और कोई भी फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट की सोच भी यही होती है कि पूरे देश के लिए मापदंड तय हो रहे हैं ।
अब यदि जस्टिस गोयल भी जस्टिस मिश्रा की तरह नये सिरे से सुनेंगे तो जाहिर है कि हमारी तैयारी उच्चकोटि की होनी चाहिए ।
शेष फिर .................
सत्यमेव जयते
आपका
एस के पाठक
कार्यकर्त्ता
टेट मोर्चा उत्तर प्रदेश
सम्पर्कसूत्र 9415023170
व्हाट्स अप 9415540270
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