शिक्षामित्रों का समायोजन अधिकार है या राजनैतिक अनुकम्पा

समायोजन अधिकार है या राजनैतिक अनुकम्पा❓विरोधी कहते हैं ये समायोजन अवैध है क्योंकि शिक्षामित्र संविदाकर्मी हैं।संघ कहते हैं कि राज्य के अमुक दल ने अनुकम्पा कर ले हमें प्रशिक्षण कराया और समायोजन किया। हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
हम इस के क़ानूनी पहलू पर बात करते हैं।
⚖शिक्षामित्रों को वर्ष 1999 से लगाया गया लेकिन वर्ष 2001 से पूर्ण रूप से योजनवद्ध ढंग से नियुक्त किये गए।
यहाँ ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या इनके पद स्वीकृत थे।
तो जवाब है बिलकुल थे। राज्य और केंद्र दोनों ने नियमानुसार पद स्वीकृत किये।
⚖फिर ये सिलसिला चलता हुआ वर्ष 2010 तक पहुंचा।
वर्ष 2010-11 में पुनः पद स्वीकृत किये गए। उद्देश्य स्थायित्व देना था।
⚖वर्ष 2010 में जब आरटीई अधिनियम लागु किया गया तो राज्यों को पत्र भेजकर केंद्र द्वारा सभी शिक्षण कार्यकर्ताओं को शिक्षक प्रशिक्षण दे कर नियमितीकरण का निर्देश दिया। क्योंकि आरटीई एक्ट में इसका प्रावधान किया गया था। निर्देश था:-
The States should maintain
unified teaching cadres and no
separate ‘SSA cadre’ is
permissible, as all teachers are
ultimately to be borne on the
State.

राज्य को एकीकृत शिक्षण कार्यकर्ताओं को बनाए रखना चाहिए और अलग से कोई 'सर्व शिक्षा अभियान के कैडर' की अनुमति नहीं  है, इस प्रकार सभी शिक्षकों को अंत में राज्य को वहन करना है।
राज्य को भेजे गए पत्रों में लिखा गया:-
further stated that all posts sanctioned by the MHRD in 2005, 2006, 2007, 2010 and 2012-13 were sanctioned to the state education department. Hence all contractual teachers are entitled to the same benefits as the regular teachers.
✍🏼बात यहीं ख़त्म नहीं हुई कल हम वर्ष 2011 से 2015 तक हमें क्या मिला इस पर चर्चा करेंगे।
  ⚖केंद्र और राज्य द्वारा आरटीई एक्ट की क़ानूनी मज़बूरियों के तहत  प्रशिक्षण और समायोजन किया गया न कि राजनैतिकअनुकम्पा के आधार पर।
✍🏼शेष ...... अगली पोस्ट में।।
      रबी बहार&केसी सोनकर** का
मिशन सुप्रीम कोर्ट✌🏽
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