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बदायूं में 88 शिक्षक फर्जी मिले , फर्जी शिक्षकों में खलबली

बदायूं। जिले में 88 शिक्षक बीएड की फर्जी अंकतालिका से नौकरी कर रहे हैं। इसका खुलासा बीएसए पीसी यादव की जांच में हुआ है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार फर्जी शिक्षकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। सोमवार को बीएसए और उनकी पूरी टीम डायट में बैठकर दिनभर फर्जी शिक्षकों का रिकार्ड खोजने में लगी रही।

वर्ष 2005 में विशिष्ट बीटीसी के तहत शिक्षकों की भर्ती हुई थी। भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से कई लोगों ने बीएड की फर्जी अंकतालिका ले ली। उसी के सहारे नौकरी हासिल कर ली। किसी ने इसकी शिकायत शासन से की। शासन ने जांच एसआईटी को सौंपी। एसआईटी की जांच में सबकुछ खुलकर सामने आ गया। पूरे प्रदेश में बीएड की फर्जी अंकतालिका लगाकर नौकरी कर रहे 4623 शिक्षक पकड़ में आए। इससे खलबली मच गई। बीएसए पीसी यादव ने बताया कि एसआईटी ने सभी बीएसए को ऐसे फर्जी शिक्षकों की सीडी उपलब्ध कराई है। उसी सीडी के तहत यहां पर भी जांच की जा रही है। सोमवार तक बदायूं में 88 फर्जी शिक्षक प्रकाश में आ चुके हैं। बीएसए ने कहा कि इन सभी ने आगरा विश्वविद्यालय की बीएड की फर्जी अंकतालिका लगाई है। अभी जांच चल रही है। लग रहा है कि फर्जी शिक्षकों की संख्या और बढ़ सकती है। बोले-जितने भी फर्जी शिक्षक प्रकाश में आ रहे हैं, उन्हें एक दो दिन में नोटिस जारी किया जाएगा। बाद में बर्खास्त करने के साथ ही उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। आखिर में उन सभी से रिकवरी भी की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
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फर्जी शिक्षकों में खलबली
बदायूं। बीएड की फर्जी अंकतालिका के जरिए एक दशक से भी ज्यादा समय से स्कूलों में पढ़ा रहे ऐसे शिक्षकों खलबली मची है। बताया जा रहा है कि कुछ तो छुट्टी लेकर ही गायब हो गए हैं। किन-किन ब्लाकों मेें कितने फर्जी शिक्षक हैं उसके बारे में सभी खंड शिक्षाधिकारियों को भी अवगत कराया जा रहा है।
वर्ष 2005 में विशिष्ट बीटीसी के जरिए फर्जी अंकतालिका लगाकर शिक्षक बनने वालों को शायद यह बिल्कुल आभास नहीं होगा कि 12 साल बाद उनका कारनामा पकड़ में आ जाएगा। चूंकि 2005 में भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के जितने भी बीएड करके शिक्षक बने हैं उन सभी के रिकार्ड की जांच की गई है। जो फर्जी शिक्षक हैं उन्हें पहले से ही पता था कि वह गलत कागजों से शिक्षक बने हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि ऐसे फर्जी शिक्षकों में यहां पर भी खलबली मची है। वह किसी तरह बचने की जुगत में हैं। हालांकि 12 साल से वह शिक्षक पद का वेतन भी पा रहे हैं सो विभाग उन पर किसी तरह की रियायत बरतेगा यह कम ही मुमकिन है।
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