सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को एक और बड़ा झटका मिलने जा रहा है। नौकरी तो गई लेकिन अब शिक्षामित्रों से वेतन की रिकवरी की जाएगी।
ये वे शिक्षामित्र हैं जिनके जांच के दौरान प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर से इन शिक्षामित्रों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है।
इन शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से दो बार प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराकर सुनवाई प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। दूसरे चरण में सहायक अध्यापक (Assistant Teacher) पद पर समायोजित जिले के 29 शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए थे। वर्ष 2016 की शुरुआत से इसकी जांच शुरू हो गई। संबंधित बोर्ड से प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया गया। कई प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया गया। तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी नगेन्द्र प्रताप ने सभी शिक्षामित्रों को सुनवाई के लिए बुलवाया उनको साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका दिया। तत्कालीन बीएसए को प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए।
अब दोबारा सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता ने बताया कि जिलाधिकारी गौरव दयाल के निर्देश पर सभी को फिर से सुनवाई का मौका दिया गया। 29 में से 26 प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इनके खिलाफ जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी। संबंधित शिक्षामित्रों के वेतन और मानदेय की रिकवरी भी की जाएगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर से इन शिक्षामित्रों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है।
पहले चरण में 1138 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक (Primary Teacher) पद पर सामायोजित हुए थे। इसमें से दस के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे। वर्ष 2015 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी को इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई लेकिन अब एक बार फिर इस मामले ने जोर पकड़ लिया है। उधर इन शिक्षामित्र और सहायक अध्यापकों में हलचल मची हुई है।
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इन शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से दो बार प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराकर सुनवाई प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। दूसरे चरण में सहायक अध्यापक (Assistant Teacher) पद पर समायोजित जिले के 29 शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए थे। वर्ष 2016 की शुरुआत से इसकी जांच शुरू हो गई। संबंधित बोर्ड से प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया गया। कई प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया गया। तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी नगेन्द्र प्रताप ने सभी शिक्षामित्रों को सुनवाई के लिए बुलवाया उनको साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका दिया। तत्कालीन बीएसए को प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए।
अब दोबारा सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता ने बताया कि जिलाधिकारी गौरव दयाल के निर्देश पर सभी को फिर से सुनवाई का मौका दिया गया। 29 में से 26 प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इनके खिलाफ जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी। संबंधित शिक्षामित्रों के वेतन और मानदेय की रिकवरी भी की जाएगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर से इन शिक्षामित्रों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है।
पहले चरण में 1138 शिक्षामित्र सहायक अध्यापक (Primary Teacher) पद पर सामायोजित हुए थे। इसमें से दस के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे। वर्ष 2015 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी को इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई लेकिन अब एक बार फिर इस मामले ने जोर पकड़ लिया है। उधर इन शिक्षामित्र और सहायक अध्यापकों में हलचल मची हुई है।
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