शिक्षामित्र संगठन ने उठाया ऐसा कदम, कि अब शिक्षामित्रों की होगी जीत और बनेंगे सहायक अध्यापक!

आगरा। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों ने हार नहीं मानी है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संगठन की हाल ही में लखनऊ में बैठक हुई।
इस बैठक में बताया गया, कि शिक्षामित्र साथियों को एक साथ मिलकर खड़े रहना होगा। प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने बताया कि संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से चर्चा की, जिसके बाद कुछ ऐसे बिन्दु मिले हैं, जिनके आधार पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। इसकी तारीख भी अब नजदीक है।

बैठक में ये हुई चर्चा
जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट से आए आदेश के बाद वहां के वरिष्ठ अधिकवक्ताओं से आदेश के अहम बिन्दुओं पर चर्चा हुई। इन बिन्दुओं में बहुत सी बातें निकलकर सामने आईं, जिसके बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल किया गया। गाजी इमाम आला ने बताया कि संगठन को पूरा भरोसा है, कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाना संविधानिक अधिकार है। इस अधिकार के तहत शिक्षामित्रों का समायोजन की वैधता को दोबारा चुनौती दी गई है। अच्छे वकीलों से विचार विर्मश किया गया।
तो क्यों कराया सेवारत प्रशिक्षण
उमा देवे के मामले में साफ जाहिर है कि 2014 में जब समायोजन हुआ, उस समय विज्ञापन निकाला गया था। उस समय भी बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी और उर्दू बीटीसी इन सभी अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है। उस विज्ञापन का कॉपी लड़े गए अधिवक्ताओं के पास बतौर सबूत आज भी है। वहीं टीईटी के मुद्दे पर एनसीटी ने 2011 में ऐसे शिक्षामित्र जो स्नातक हैं, पत्र जारी किया, प्रशिक्षण के संबंध में। ऐसे शिक्षामित्र जो स्नातक हैं। उन्हें अंतिम टीचर मानते हुए, दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण दिया गया। तत्कालीन सरकार ने सेवारत प्रशिक्षण कराया गया। सेवारत प्रशिक्षण उसी का हो सकता है, जो सेवा में हो और सेवरात प्रशिक्षण को उच्चत्तम न्यायालय दिल्ली द्वारा वैध करार दिया गया है। डाली गई पुनर्विचार याचिका में यही कहा गया, जब हम अंट्रेंड टीचर हैं, तो केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है, कि जब पत्र जारी किया गया, तो एनसीटी के पैरा फोर में शामिल करना केन्द्र सरकार का दायित्व था। ऐसा नहीं किया गया, जिसका पूरा खामियाजा प्रदेश का शिक्षामित्र भुगत रहा है।


शिक्षामित्रों को मिलेगा न्याय
गाजी इमाम आला ने बताया कि 2011 में प्रशिक्षण के लिए एनसीटी ने पत्र जारी किया, और अनट्रेंड टीचर मानते हुए सेवारत प्रशिक्षण दिया गया, तो 2011 में ही केन्द्र में कार्यरत सरकार को एनसीटी के पैरा फोर में संसोधन करना चाहिए था और यदि ऐसा नहीं किया गया, तो शिक्षामित्र दोषी नहीं, दोषी उस समय की कार्यरत सरकार थी। पुनर्विचार याचिका पर न्यायालय पर पूरा भरोसा है। समायोजित शिक्षामित्र को न्यायालय पूरी गंभीरता से बात को सुनकर निश्चित तौर पर शिक्षामित्रों के साथ न्याय करेगी। संघ के अध्यक्ष ने बताया कि संगठन इस लड़ाई को संविधान पीठ तक ले जाने के लिए तैयार है और निश्चित तोर पर साक्ष्य सबूतों के आधार पर न्यायालय उचित निर्णय जरूर करेगा।
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