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प्रधानमंत्री ने बनारस में कहा था कि शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मेरी , इसके बाद भी शिक्षामित्रों को लेकर अब तक कोई हल नहीं

रामपुर। समायोजन रद्द होने के बाद प्रदेश सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए शिक्षामित्र एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। इसको लेकर शिक्षामित्रों ने धरना दिया। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
सोमवार को आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले तमाम शिक्षामित्र अंबेडकर पार्क में एकत्र हुए। इसके बाद नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। इस दौरान जिलाध्यक्ष सैय्यद जावेद मियां ने कहा कि सपा सरकार ने शिक्षामित्रों के योगदान को सराहते हुए 1.37 लाख शिक्षामित्रों को समायोजित कर अध्यापक बना दिया था। शिक्षामित्रों को करीब 40 हजार रुपये वेतन मिलने लगा, लेकिन हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने बनारस में कहा था कि शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मेरी है। भाजपा ने इसे अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया, लेकिन इसके बाद भी शिक्षामित्रों को लेकर अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। सदमें में आकर कई शिक्षामित्रों की जान तक चली गई, लेकिन भाजपा सरकार ने मृत शिक्षकों को लेकर शोक संवेदना तक व्यक्त नहीं की। कहा कि अब आरपार की लड़ाई होगी। इसके बाद सभी शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट ओमप्रकाश तिवारी को सौंपा। उन्होंने शीघ्र ही अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक का पद बहाल करने की मांग की है। इस मौके पर अरविंद गोस्वामी, शन्नू खां, असलम अहमद, रामकुंवर, हुकुमचन्द्र, रामपाल राठौर, जाबिर हुसैन, किरनपाल सिंह, इदरीश अहमद, रीना पाल, सुरेश कुमार, अशरफ अली, जाफर अली, हरीश कुमार, नजाकत अली, दिनेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

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