बरेली (जेएनएन)। प्रमाण पत्र एक, व्यक्ति और शिक्षक बनकर नौकरी करते रहे
दो लोग। ऐसा ही एक अजब मामला सामने आया है। बरेली निवासी प्रमाण पत्र के
असल मालिक उत्तराखंड में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि उन्हीं के प्रमाण
पत्रों के आधार पर बरेली के शख्स ने परिषदीय स्कूल में नौकरी हासिल कर ली।
वर्ष 2005 से 2017 तक मौज मारता रहा। मामला खुला तो सेवा समाप्ति का नोटिस थमाकर पल्ला झाड़ लिया गया। तब से फ्रॉड करने वाला फरार है, जबकि असली शिक्षक प्रदीप कुमार शर्मा अपनी पहचान बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को भी उन्होंने बीएसए दफ्तर में पीड़ा बताई। ऐसे सामने आई फर्जी शिक्षक की कहानी
सुरेश शर्मा नगर निवासी प्रदीप कुमार शर्मा उत्तराखंड के नैनीताल स्थित पदमपुरी के राजकीय इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता के पद पर 1999 से कार्यरत हैं। वर्ष 2016 में जब उन्होंने अपनी बैंक पासबुक अपडेट कराई तो उसमें बैंक खाता का सीआइएफ नंबर और पता बदल गया। इसकी शिकायत उन्होंने बैंक मैनेजर से की। काफी दौड़भाग के बाद उनका खाता अपडेट कर दिया गया। इसके बाद फर्जी शिक्षक के बैंक खाते से लेनदेन के मैसेज प्रदीप शर्मा के मोबाइल पर आने शुरू हो गए। तब खुलासा हुआ कि उनके पैन कार्ड पर एसबीआइ आंवला में इसी नाम से अलग बैंक खाता चल रहा है। छानबीन में पता चला कि खाता बेसिक शिक्षा विभाग से डील हो रहा है। इस पर प्रदीप ने तत्कालीन बीएसए से जनवरी 2017 में शिकायत की और जांच के बाद सारा घालमेल सामने आ गया। फर्जी शिक्षक मझगवां ब्लॉक के परिषदीय स्कूल इस्लामपुर में तैनात था। पोल खुलने पर वह फरार हो गया लेकिन, उसकी सेवा समाप्ति अभी तक नहीं की गई है। सिर्फ नोटिस देकर बेसिक शिक्षा विभाग ने पल्ला झाड़ लिया।
नाम, पता और पहचान सब फर्जी
प्रदीप कुमार शर्मा के नाम पर नौकरी करने वाले आरोपित शिक्षक की अब तक असल पहचान उजागर नहीं हो पाई है। फर्जी शिक्षक ने प्रमाण पत्रों के साथ ही नाम, पता और पहचान सबकुछ फर्जी लगाया था। वर्जन
मामला मेरी जानकारी में आया है। यदि किसी ने दूसरे के प्रमाण पत्रों से नौकरी पाई है तो अनिवार्य रूप से कार्रवाई की जाएगी।
ऐश्वर्य लक्ष्मी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
वर्ष 2005 से 2017 तक मौज मारता रहा। मामला खुला तो सेवा समाप्ति का नोटिस थमाकर पल्ला झाड़ लिया गया। तब से फ्रॉड करने वाला फरार है, जबकि असली शिक्षक प्रदीप कुमार शर्मा अपनी पहचान बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को भी उन्होंने बीएसए दफ्तर में पीड़ा बताई। ऐसे सामने आई फर्जी शिक्षक की कहानी
सुरेश शर्मा नगर निवासी प्रदीप कुमार शर्मा उत्तराखंड के नैनीताल स्थित पदमपुरी के राजकीय इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता के पद पर 1999 से कार्यरत हैं। वर्ष 2016 में जब उन्होंने अपनी बैंक पासबुक अपडेट कराई तो उसमें बैंक खाता का सीआइएफ नंबर और पता बदल गया। इसकी शिकायत उन्होंने बैंक मैनेजर से की। काफी दौड़भाग के बाद उनका खाता अपडेट कर दिया गया। इसके बाद फर्जी शिक्षक के बैंक खाते से लेनदेन के मैसेज प्रदीप शर्मा के मोबाइल पर आने शुरू हो गए। तब खुलासा हुआ कि उनके पैन कार्ड पर एसबीआइ आंवला में इसी नाम से अलग बैंक खाता चल रहा है। छानबीन में पता चला कि खाता बेसिक शिक्षा विभाग से डील हो रहा है। इस पर प्रदीप ने तत्कालीन बीएसए से जनवरी 2017 में शिकायत की और जांच के बाद सारा घालमेल सामने आ गया। फर्जी शिक्षक मझगवां ब्लॉक के परिषदीय स्कूल इस्लामपुर में तैनात था। पोल खुलने पर वह फरार हो गया लेकिन, उसकी सेवा समाप्ति अभी तक नहीं की गई है। सिर्फ नोटिस देकर बेसिक शिक्षा विभाग ने पल्ला झाड़ लिया।
नाम, पता और पहचान सब फर्जी
प्रदीप कुमार शर्मा के नाम पर नौकरी करने वाले आरोपित शिक्षक की अब तक असल पहचान उजागर नहीं हो पाई है। फर्जी शिक्षक ने प्रमाण पत्रों के साथ ही नाम, पता और पहचान सबकुछ फर्जी लगाया था। वर्जन
मामला मेरी जानकारी में आया है। यदि किसी ने दूसरे के प्रमाण पत्रों से नौकरी पाई है तो अनिवार्य रूप से कार्रवाई की जाएगी।
ऐश्वर्य लक्ष्मी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी