बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए घरों तक जा रहे शिक्षक, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के दाखिले सुनिश्चित करने को शुरू हुआ सर्व शिक्षा अभियान का दूसरा चरण

मुरादाबाद : सौ फीसद साक्षरता हासिल करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका बेसिक शिक्षा विभाग की ही है। परिषदीय विद्यालयों के बारे में लोगों की जो भी राय हो लेकिन सर्वाधिक संख्या में बच्चे इन्हीं स्कूलों में पढ़ते हैं। बेशक नया शैक्षिक सत्र अप्रैल से शुरू हुआ हो, लेकिन वास्तविकता में सत्र जुलाई से ही माना जाता है।
सर्व शिक्षा के तहत विभाग की जिम्मेदारी है कि आठ से 14 साल का एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए। इसके लिए के अंतर्गत हाउस होल्ड सर्वे शुरू किया गया है। इसके तहत शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों का सौ फीसद रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करेंगे। 31 जुलाई तक का द्वितीय चरण चलेगा। इसके संबंध में निदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से पत्र भी जारी कर दिया गया है। इसमें नामांकन के साथ ही उपस्थिति पर भी जोर है। आदेश में की सफलता के लिए 12 बिंदु दिए गए हैं।
प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर होगा प्रचार : का प्रचार प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर किया जा रहा है। इसके तहत वाट्सएप पर वीडियो भी भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही बेसिक स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों को बच्चों को शिक्षा के साथ मिलने वाली अन्य सुविधाओं जैसे मिडडे मील, निश्शुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्कूल बैग, स्वेटर आदि की जानकारी दे रहे हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक भी करेंगे सहयोग : की सफलता के लिए ग्राम विकास समिति, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, मां समूह का सहयोग लिया जाएगा। विद्यालय में अभिभावकों के साथ बैठक बुलाई जाएगी। शिक्षक घर-घर जाएंगे, साथ ही सेवानिवृत्त शिक्षकों से भी सहयोग मांगा जाएगा। विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर अभिभावकों को हर हाल में बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। ब्लाक स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया करेंगे ताकि वह अभिभावकों को जागरूक कर सकें। विकास खंड स्तर पर कक्षा पांच उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों की सूची जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों को उपलब्ध कराई जाएगी। विकास खंड स्तर पर आयोजित कर बच्चों के बारे में अभिभावकों से चर्चा होगी। बच्चों शिक्षा से इतर अन्य क्षमताओं को विकसित करने का कार्य भी किया जाएगा।
पिछले सालों में घटी है संख्या : बेसिक शिक्षा विभाग के हाउस होल्ड सर्वे और विद्यालयों में नामांकन की संख्या को देखा जाए तो पिछले सालों में इनमें गिरावट आई है। बेसिक स्कूलों में सुविधाएं तो बहुत हैं, लेकिन उनके सरकारीकरण के चलते सही लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता। मेरिट लिस्ट के माध्यम से श्रेष्ठ शिक्षकों के चयन के बावजूद शैक्षिक गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रहता है। लोग मजबूरी में ही इन विद्यालयों में बच्चों को भेजते हैं।