इलाहाबाद : जिन बीएड धारकों का प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने का
रास्ता 2011 की भर्ती के बाद बंद हो गया था, उसे राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा
परिषद यानि एनसीटीई ने एकाएक नहीं खोला है।
इसके मूल में शिक्षामित्रों का
रवैया रहा है। ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को मनाने
का प्रयास नहीं किया, बल्कि मानदेय बढ़ाया और मनचाहे स्थान पर नियुक्ति
दिया। कोर्ट के आदेश पर ही सही शिक्षक बनने का मौका तक दिया जा रहा है, फिर
भी शिक्षामित्र लगातार केंद्र व प्रदेश सरकार पर हमलावर रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में तैनात एक लाख
37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया था। यह प्रकरण सपा शासनकाल से
लंबित था, फिर भी शिक्षामित्रों के निशाने पर केंद्र की मोदी और प्रदेश की
योगी सरकार की रही। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने उन्हें राहत देने के
लिए मानदेय बढ़ाने का एलान किया । यदि शिक्षामित्र चाहे तो उन्हें मौजूदा
तैनाती वाले स्कूल में ही रहने दिया जाएगा, क्योंकि पुराने स्कूल में
शिक्षामित्र के रूप में लौटना शायद उन्हें रास नहीं आएगा। प्रदेश सरकार ने
शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षक बनाने के लिए
टीईटी 2017 कराया और फिर 27 मई को 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित
परीक्षा भी हुई है। शिक्षामित्रों ने इस परीक्षा का भी विरोध किया, फिर
उत्तीर्ण प्रतिशत को लेकर नाराजगी जताई। सरकार ने इम्तिहान के कुछ समय पहले
ही उत्तीर्ण प्रतिशत में बड़ा फेरबदल करके उन्हें राहत दी।
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