सीधी भर्ती में नियम बदलने का प्रस्ताव अधर में लटका, 3500 से अधिक पदों पर भर्ती पुराने नियम से ही

इलाहाबाद : सीधी भर्ती माध्यम से केवल इंटरव्यू के आधार पर अभ्यर्थियों के चयन की प्रक्रिया में बदलाव निर्णय के डेढ़ महीने बाद भी अधर में है। उप्र लोकसेवा आयोग यानि यूपीपीएससी की ओर से अगस्त में हुए इस प्रस्ताव की फाइल उप्र सचिवालय में अटक गई है।
इस बीच अधिक पदों वाली दो बड़ी भर्तियों की प्रक्रिया भी शुरू हो जाने से सवाल उठे हैं कि नियम में बदलाव के निर्णय के बावजूद यूपीपीएससी की ओर से जल्दबाजी क्यों की गई।
यूपीपीएससी ने सीधी भर्ती के नियम में बदलाव का निर्णय 25 अगस्त को लिया था, जिसमें अभ्यर्थियों के साक्षात्कार के साथ स्क्रीनिंग परीक्षा में भी मिले अंक को जोड़कर मेरिट तय करने की नीति बनी थी। यूपीपीएससी ने यह प्रस्ताव यूपीएससी यानि संघ लोकसेवा आयोग की व्यवस्था को अपनाते हुए लिया था। इसके लिए यूपीपीएससी की टीम यूपीएससी गई थी। इस निर्णय से पहले यूपीपीएससी की ओर से सीधी भर्ती के तहत अभ्यर्थियों का विभिन्न विभागों में चयन केवल साक्षात्कार के आधार पर किया जाता रहा है। पदों के सापेक्ष आवेदन अधिक होने पर स्क्रीनिंग परीक्षा सिर्फ अभ्यर्थियों की भीड़ कम करने के लिए होती रही है। नई व्यवस्था बनाने के लिए प्रस्ताव पर शासन की मंजूरी का इंतजार अभी खत्म नहीं हो सका है। 1सूत्र बताते हैं कि सीधी भर्ती में नियम बदलने को लेकर कई पेंच हैं। सदस्यों की संख्या पूरी न होना इसकी अहम वजह है। निर्णय लेने के दौरान कुछ लोगों की आपत्ति रही। सचिव जगदीश ने कहा कि प्रस्ताव पर शासन की मुहर लगने में वक्त लगेगा। सभी विभागों की ओर से नियमावली बदली जानी है। नियमावली यूपीपीएससी को नहीं बदलना है। विभागों से रिपोर्ट मिलने के बाद शासन की मुहर लग सकेगी।
3500 से अधिक पदों पर भर्ती पुराने नियम से ही
नियम में बदलाव का निर्णय लेने के बाद यूपीपीएससी ने 30 सितंबर को होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी व आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के कुल 1140 पदों पर भर्ती के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा कराई, जबकि 17 विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन एक अक्टूबर से लिए जा रहे हैं। इसमें 2300 से अधिक पद केवल एलोपैथिक चिकित्साधिकारी के ही हैं। नियम में बदलाव न होने से यह भर्तियां भी केवल साक्षात्कार के आधार पर होंगी।