बीएसए की गलती से हजारों शिक्षकों की तनख्वाह रुकी, प्राइमरी स्कूलों में रिजल्ट ऑनलाइन लेकिन सत्यापन ऑफलाइन

 रिजल्ट ऑनलाइन मौजूद है लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्यापन के लिए ऑफलाइन तरीका अख्तियार कर रहे हैं। नतीजतन, प्राइमरी स्कूलों में नवनियुक्त 60 से 70 फीसदी शिक्षकों का वेतन रुक गया है। बीटीसी, टीईटी,

यूपी बोर्ड समेत कई विवि के रिजल्ट वेबसाइट परहैं लेकिन जिलों से बीएसए इनके सत्यापन के लिए डाक का सहारा ले रहे हैं। प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती में लगभग 64 हजार शिक्षकों की भर्ती दो चरणों में की गई है।


इनका वेतन जारी करने के लिए शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया अभी चल रही है। इस भर्ती में पहले चरण में 31277 शिक्षकों की भर्ती अक्तूबर 2020 और दूसरेचरण में 36590 शिक्षकों की भर्ती नवम्बर 2020 में की गई। लेकिन अभी तक 30 फीसदी शिक्षकों को ही वेतन दिया जा सका है। इसका कारण है कि बीएसए अभी पुराने तरीके से ही शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन करते हैं। इस प्रक्रिया में खासा समय लगता है क्योंकि हजारों की संख्या में सत्यापन होते हैं।



ऑनलाइन सत्यापन के लिए पत्र लिखा
पहले यूपी बोर्ड और अब परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने भी पत्र लिख कर ऑनलाइन सत्यापन करवाने का अनुरोध किया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी की वेबसाइट पर वर्ष 2013 से अब तक आयोजित हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा के परिणाम उपलब्ध हैं। वहीं बीटीसी 2011 से अब तक के रिजल्ट भी यहीं पर उपलब्ध हैं। यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के 2003 से अब तक के परिणाम उपलब्ध हैं। कई विवि के परिणाम भी ऑनलाइन हो चुके हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक बीएसए का कहना है कि ऑनलाइन सत्यापन में दूसरे संस्थान की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। सत्यापन उसी संस्था को करना चाहिए जहां से परिणाम जारी हुआ है।

हमारी नियुक्ति अक्तूबर में हुई थी। मुझे अभी तक चार महीने का वेतन मिल चुका है जबकि मेरे कई साथियों को एक वेतन भी नहीं मिल पाया है।कई जिलों से हमे पता चला है कि अभी 20 से 25 फीसदी शिक्षकों को ही वेतन मिला है। दूसरे चरण में नियुक्त किसी भी शिक्षक को अभी तक वेतन नहीं मिला है।
शिवेन्द्र सिंह, 69 हजार शिक्षक भर्ती में लीगल टीम के सदस्य