कोरोना की ताजी लहर के बीच डिजिटल पढ़ाई का ढांचा मजबूत करना सरकार की दूरदर्शिता करता है, प्रदर्शित

 कोरोना के चाल-चरित्र को समझ चुके लोगों को इतना तो स्पष्ट ही है कि यह जल्दी ¨पड छोड़ने वाला नहीं। सबको इसके साथ जीने की आदतें डालनी होंगी। इसी ने वर्क फ्राम होम, आनलाइन पढ़ाई का प्रचलन बढ़ाया। यद्यपि

पिछले साल पहली कोरोना लहर आई, तब ग्रामीण इलाकों में आनलाइन पढ़ाई का कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था। जहां कहीं कुछ था भी तो इतना कमजोर कि आनलाइन क्लास में जुड़कर भी कुछ हासिल नहीं हो पाता था। तब, हालात के आगे हर कोई लाचार था। हालांकि, नए कोरोना स्ट्रेन की चुनौतियों से निपटने के लिए योगी सरकार डिजिटल पढ़ाई का मजबूत ढांचा खड़ा करने में जुट गई है। इसी कड़ी में सरकार ने प्रदेश के 50 डिग्री कालेजों को ई-बुक्स खरीदने के लिए 10 लाख रुपये दिए हैं। इससे घर बैठे ज्यादा किताबें पढ़ने को मिल सकेंगी।



वैसे, आनलाइन पढ़ाई को लेकर प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा विभाग तक कुछ भी दावा करे लेकिन, कोरोना से सर्वाधिक नुकसान ग्रामीण विद्यार्थियों ने ही ङोला है। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती कनेक्टिविटी की थी। ज्यादातर गांवों में इंटरनेट की ऐसी स्पीड ही नहीं थी कि आनलाइन जुड़ सकते। वहीं, अधिकांश शिक्षकों को भी नहीं मालू्म था कि आनलाइन पढ़ाएं कैसे। आखिरकार वे टीवी या थियेटर के कलाकार तो नहीं, जो कैमरे का ख्याल रखकर लिखते या बोलते। जुगाड़ से बने ई-कंटेंट की गुणवत्ता भी कामचलाऊ ही रही। हालांकि, इसी कठिन घड़ी में कुछ अभिनव प्रयोग भी हुए, जो खूब सराहे गए। फिलवक्त, सरकार की तैयारी और तेजी से इतना भरोसा तो होता है कि कोरोना बढ़ने पर आनलाइन पढ़ाई में पहले जैसी दिक्कतें नहीं होने वाली। सरकार मिशन मोड में आकर प्रदेश के 40 हजार से अधिक गांवों में हाईस्पीड इंटरनेट की व्यवस्था करा रही है। यही नहीं, स्कूल से लेकर कालेजों तक अब ऐसे कंटेंट से लैस टैबलेट दिए जा रहे हैं, जिनसे इंटरनेट के बगैर आफलाइन मोड में भी पढ़ाई संभव होगी। कोरोना की ताजी लहर के बीच डिजिटल पढ़ाई का ढांचा मजबूत करना सरकार की दूरदर्शिता प्रदर्शित करता है, जो कि बेहद जरूरी भी है।