उत्तर प्रदेश के एक हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालय कान्‍वेंट स्‍कूलों को दे रहे मात, योगी सरकार का दावा

 उत्तर प्रदेश के एक हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालय कान्‍वेंट स्‍कूलों को मात दे रहे हैं। योगी सरकार की प्राथमिक स्‍कूल की शक्‍ल बदलने की मुहिम अब जमीन पर नजर आना शुरू हो गई है। आपरेशन कायाकल्‍प के

जरिए योगी सरकार ने जहां प्रदेश के 1.39 लाख परिषदीय विद्यालयों में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाया तो वहीं सैकड़ों स्‍कूलों को निजी स्‍कूलों से बेहतर बनाने का काम भी किया गया। निजी स्‍कूलों की तरह यहां पर बच्‍चों की बेहतर पढ़ाई के लिए हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। स्‍मार्ट क्‍लास रूम, खेलने के लिए मैदान, लाइब्रेरी व बेहतर कक्षाओं के साथ हर तरह की सुविधा छात्रों की दी जा रही है। अधिकारियों के अनुसार परिषदीय विद्यालयों को बेहतर बनाने का काम जारी रहेगा।


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का दावा है कि परिषदीय स्‍कूल निजी स्‍कूलों पर बीस साबित हो रहे हैं। लखनऊ का नहरी स्थित प्राथमिक विद्यालय हो या फिर सीतापुर का प्राथमिक विद्यालय हिलालपुर, बाराबंकी का प्राथमिक विद्यालय हीरपुर, हरदोई का प्राथमिक विद्यालय महोनी जैसे सैकड़ों स्‍कूल जिले के निजी स्‍कूलों को मात दे रहे हैं। सरकार की पहल के बाद यहां पर छात्रों की संख्‍या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। अभिभावक महंगे निजी स्‍कूल चुनने के बजाए परिषदीय विद्यालयों में अपने बच्‍चों के दाखिले करा रहे हैं।


बच्‍चों के लिए स्‍मार्ट क्‍लास : बाराबंकी के प्राथमिक विद्यालय हीरपुर की शिक्षिका इंचार्ज वंदना श्रीवास्‍तव बताती हैं कि उनके स्‍कूल की गिनती ब्‍लाक के सबसे बेहतर स्‍कूलों में होती है। इसके लिए उनको सरकार की ओर से सम्‍मान भी मिल चुका है। यहां पर बच्‍चों के लिए स्‍मार्ट क्‍लास, खूबसूरत कक्षाएं, लाइब्रेरी मौजूद है। सबसे खास बात ये है कि स्‍कूल के बच्‍चें अब अंग्रेजी में बात करते हैं। प्राथमिक विद्यालय को अंग्रेजी माध्‍यम से संचालित किया जा रहा है।


हर जिले में 12 से 15 स्‍कूलों की बदली सूरत : योगी सरकार ने आपरेशन कायाकल्‍प के जरिए प्रदेश के 1.39 लाख परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्‍प किया गया है। चार वर्षों में सिर्फ कायाकल्‍प के साथ बेसिक शिक्षा विभाग ने निजी स्‍कूलों की तरह अपने कुछ स्‍कूलों को डेवलप करने का प्रयास भी शुरू किया। इन प्रयासों ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों व यहां के शैक्षिक माहौल को बदल कर रख दिया है। श्रमिकों व गरीबों के बच्‍चें भी अब अंग्रेजी मीडियम स्‍कूलों की तरह परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो औसतन हर जिले में 12 से 15 स्‍कूलों को निजी स्‍कूलों की तरह डेवलप किया गया है। कई जिलों में तो 20 से 25 स्‍कूल निजी स्‍कूलों की तरह डेवलप हो चुके हैं। इसमें हरदोई में करीब 10 विद्यालय, सीतापुर में 7, बाराबंकी में 6 तो लखनऊ में दस से बारह स्‍कूल निजी स्‍कूलों को टक्‍कर दे रहे हैं।