परिषद की महामंत्री रेनू मिश्र ने कहा है कि सरकार का यह दोहरा मापदंड प्रदेश के राज्य कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं है। यह भत्ता पहले से मिलता रहा है और कोविड के लिए रोका गया था। लिहाजा इसे बहाल करने में आचार संहिता भी आड़े नहीं आएगी। उधर, तिवारी ने कहा है कि नगर प्रतिकर भत्ता तत्काल नहीं दिया गया तो चुनाव में कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने मुख्य सचिव समिति से वेतन समिति की संस्तुतियों को भी लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने चार महीने पहले मुख्य सचिव समिति का गठन कर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों पर तत्काल निर्णय कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन समिति अब तक एक भी बैठक नहीं कर सकी है।
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राज्य कर्मियों ने नगर प्रतिकर भत्ता बहाली की मांग उठाई
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने शासन से प्रदेश के 12 लाख कर्मचारियों का रुका हुआ नगर प्रतिकर भत्ता देने की मांग की है। परिषद ने सवाल उठाया है कि जब कोविड काल में बंद किया गया सचिवालय भत्ता बहाल कर दिया गया है तो नगर भत्ता क्यों नहीं बहाल किया जा रहा है। परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी इन संबंध में मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि नगर प्रतिकर भत्ता कर्मचारियों को मई 2020 तक मिलता रहा है। कोविड संक्रमण में आ रहे खर्चे को पूरा करने के लिए सरकार ने नगर प्रतिकर भत्ता समेत दर्जन भर भत्ते बंद कर दिए थे। जबकि पिछले दिनों सचिवालय भत्ता बहाल कर दिया गया।
परिषद की महामंत्री रेनू मिश्र ने कहा है कि सरकार का यह दोहरा मापदंड प्रदेश के राज्य कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं है। यह भत्ता पहले से मिलता रहा है और कोविड के लिए रोका गया था। लिहाजा इसे बहाल करने में आचार संहिता भी आड़े नहीं आएगी। उधर, तिवारी ने कहा है कि नगर प्रतिकर भत्ता तत्काल नहीं दिया गया तो चुनाव में कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने मुख्य सचिव समिति से वेतन समिति की संस्तुतियों को भी लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने चार महीने पहले मुख्य सचिव समिति का गठन कर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों पर तत्काल निर्णय कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन समिति अब तक एक भी बैठक नहीं कर सकी है।
परिषद की महामंत्री रेनू मिश्र ने कहा है कि सरकार का यह दोहरा मापदंड प्रदेश के राज्य कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं है। यह भत्ता पहले से मिलता रहा है और कोविड के लिए रोका गया था। लिहाजा इसे बहाल करने में आचार संहिता भी आड़े नहीं आएगी। उधर, तिवारी ने कहा है कि नगर प्रतिकर भत्ता तत्काल नहीं दिया गया तो चुनाव में कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने मुख्य सचिव समिति से वेतन समिति की संस्तुतियों को भी लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने चार महीने पहले मुख्य सचिव समिति का गठन कर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों पर तत्काल निर्णय कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन समिति अब तक एक भी बैठक नहीं कर सकी है।