मित्रों 2011 से लेकर आज तक हमारे संघर्ष में अनेक उतार-चढाव आए.. इन बीते
बीते वर्षों में अनेक साथियों के नेतृत्व में हमने संघर्ष किया और
आज आप सभी ने नेतृत्व की बागडोर मुझे सौपी हैं, जिसका मैं आभारी
हूं...नेतृत्व बदलने का कारण शीर्ष नेतृत्व का चयन हैं, आज वे हमारे साथ
नहीं हैं
किन्तु उनके परिश्रम को नकारा नहीं जा सकता.. समय के साथ सबने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया इस भर्ती रूपी रेल को उसके प्लेटफार्म तक पहुंचाने के लिए.. लेकिन इसे भाग्य की विडंबना ही कहा जाऐगा कि आज हमारी ट्रेन अपने लक्ष्य से सिर्फ एक स्टेशन दूर हैं और इसे अब आप सबके सहयोग व त्याग की जरूरत हैं लक्ष्य तक जाने के लिए...
मित्रों आज हम सभी अपनी नौकरी से मात्र् एक कदम दूर हैं, यदि आप सभी पुनः एक साथ एकता के रूप में हमारा साथ देते हैं तो मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूं कि आप सभी शीघ्र ही एक शिक्षक की भूमिका में आ जाऐंगे।
मित्रों घरों से निकलिए..और 2 अक्टूबर जंतर-मंतर पर अनिवार्य रूप से पहुंचिए।
आने के लिए फेसबुक व फोन पर झूठे वादे कदापि न करिए..और स्वयं की अंतर्रात्मा से पूछिए कि झूठ बोलकर आप किसको धोखा दे रहे हैं..क्या आप घर बैठकर दूसरों के त्याग और बलिदान पर नौकरी हासिल करना चाहते हैं?
दूसरों के त्याग और बलिदान पर मिली नौकरी को क्या आप गर्व से जीवनभर कर पाऐंगे???
उठो जागो अगर तनिक भी जम़ीर जिन्दा हैं तो 2 अक्टूबर को जंतर-मंतर पहुंचो और हमारा सहयोग करो...
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
किन्तु उनके परिश्रम को नकारा नहीं जा सकता.. समय के साथ सबने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया इस भर्ती रूपी रेल को उसके प्लेटफार्म तक पहुंचाने के लिए.. लेकिन इसे भाग्य की विडंबना ही कहा जाऐगा कि आज हमारी ट्रेन अपने लक्ष्य से सिर्फ एक स्टेशन दूर हैं और इसे अब आप सबके सहयोग व त्याग की जरूरत हैं लक्ष्य तक जाने के लिए...
मित्रों आज हम सभी अपनी नौकरी से मात्र् एक कदम दूर हैं, यदि आप सभी पुनः एक साथ एकता के रूप में हमारा साथ देते हैं तो मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूं कि आप सभी शीघ्र ही एक शिक्षक की भूमिका में आ जाऐंगे।
मित्रों घरों से निकलिए..और 2 अक्टूबर जंतर-मंतर पर अनिवार्य रूप से पहुंचिए।
आने के लिए फेसबुक व फोन पर झूठे वादे कदापि न करिए..और स्वयं की अंतर्रात्मा से पूछिए कि झूठ बोलकर आप किसको धोखा दे रहे हैं..क्या आप घर बैठकर दूसरों के त्याग और बलिदान पर नौकरी हासिल करना चाहते हैं?
दूसरों के त्याग और बलिदान पर मिली नौकरी को क्या आप गर्व से जीवनभर कर पाऐंगे???
उठो जागो अगर तनिक भी जम़ीर जिन्दा हैं तो 2 अक्टूबर को जंतर-मंतर पहुंचो और हमारा सहयोग करो...
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