राज्य सरकार और माशिसे. चयन बोर्ड को नोटिस
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों में पुरुष शिक्षकों और प्रधानाचार्यो की नियुक्ति पर प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याची शिक्षक ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए राज्य सरकार व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को नोटिस जारी की है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने चयन बोर्ड नियमावली में रूल 9 बनाकर लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों में पुरुष प्रधानाचार्य की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी आधार पर इलाहाबाद के डीपी गल्र्स कालेज के शिक्षक मनमोहन मिश्र को वरिष्ठ अध्यापकों के साक्षात्कार में शामिल होने से रोक दिया गया था। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां राहत न मिलने पर मनमोहन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। मनमोहन मिश्र का तर्क है कि पदोन्नति मौलिक अधिकार है और 1921 और 1982 के अधिनियम में इस तरह का प्रतिबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने इसकी सुनवाई की और राज्य सरकार तथा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों में पुरुष शिक्षकों और प्रधानाचार्यो की नियुक्ति पर प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याची शिक्षक ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए राज्य सरकार व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को नोटिस जारी की है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने चयन बोर्ड नियमावली में रूल 9 बनाकर लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों में पुरुष प्रधानाचार्य की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी आधार पर इलाहाबाद के डीपी गल्र्स कालेज के शिक्षक मनमोहन मिश्र को वरिष्ठ अध्यापकों के साक्षात्कार में शामिल होने से रोक दिया गया था। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां राहत न मिलने पर मनमोहन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। मनमोहन मिश्र का तर्क है कि पदोन्नति मौलिक अधिकार है और 1921 और 1982 के अधिनियम में इस तरह का प्रतिबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने इसकी सुनवाई की और राज्य सरकार तथा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
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