ये है एन०सी०टी०ई० द्वारा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का कारण : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हर बात पर हाई कोर्ट? हर बात पर स्टे??
मित्रों आपने देखा होगा पिछले लोक सभा चुनाव के तीन वर्ष पूर्व से ही मा० मोदी जी को किस प्रकार सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया व प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से भाजपा द्वारा हाई लाइट किया गया था, तीन वर्ष पूर्व से ही कांग्रेस की छवि धूमिल करने के लिए भाजपा ने हर स्तर पर प्रयास किया।
जबसे श्री अमित शाह जी भाजपा के रणनीतिकार बने हैं, भाजपा द्वारा देश में किसी भी राज्य स्तर अथवा देश स्तर के चुनाव से पूर्व सुनियोजित तरीके से अपनी रणनीतियों एवं कूटनीतियों के लिए एक पृष्ठभूमि तैयार की जाती रही है। उसी के अन्तर्गत केन्द्र सरकार में भाजपा के आने के बाद से ही उ०प्र० में उ०प्र०सरकार के सभी कार्यों में अप्रत्यक्ष रुप से अड़ंगेबाजी शुरु हुई है।
इसी रणनीति के अन्तर्गत उ०प्र० विधान सभा चुनाव के ठीक दो वर्ष पहले से ही उ०प्र०में सपा की छवि धूमिल करने के लिए भाजपा हर स्तर से प्रयास कर रही है, चाहे इसके लिए उसे शिक्षामित्रों की लाशों से ही क्यों न गुजरना पड़ रहा है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जो हमारे इस आरोप को सिद्ध करते हैं। जैसे-
आज तक इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिन्ट मीडिया व सुनियोजित बुद्धिजीवी वर्ग शिक्षामित्रों के कार्यों की सराहना करते नहीं थकते थे, किन्तु जब से भाजपा केन्द्र में आयी तभी से इनका राग उल्टा हो गया और उ०प्र०सरकार द्वारा की जा रही समायोजन प्रक्रिया इनकी आखों में गड़ने लगा, इन्हें यह एहसास हो गया कि प्रदेश का एक बहुत बड़ा वर्ग सपा का हितैषी हो गया है। और शिक्षामित्रों के साथ साथ उनके परिवार व रिश्तेदार के लोग ग्राम स्तर के समर्थक सब सपा के कार्यों से संतुष्ट हैं। और जब तक हम इनको अपने गियर में नहीं लेंगे, उ०प्र० में जीतना मुश्किल है, तो इसके लिए सुनियोजित तरीके से साजिश रची गयी और मीडिया में डिबेट करने वाले लोग सपा सरकार को कटघरे में लाना शुरु कर दिये कि इण्टर पास शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाकर सपा सरकार ने इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है, ये अयोग्य हैं, इन्हें स्नातक कराना चाहिए था, बी०टी०सी० कराना चाहिए था, आदि आदि।
आप लोग कितना भी चिल्लाते रह गये कि हम स्नातक हैं, बी०टी०सी० हैं, योग्य हैं किन्तु अभी तक भी मीडिया और एक विशेष सुनियोजित वर्ग यही चिल्ला रहा है, कि आप अयोग्य हैं। यहाँ तक कि एक मा० न्यायाधीश महोदय द्वारा व्यक्तिगत रुप से टिप्पणी तक की गयी कि सपा सरकार वोट बैंक के चक्कर में अयोग्य लोगों को शिक्षक बना रही है। कोई भी बुद्धिजीवी वर्ग यह सच्चे दिल से बताए कि क्या एक न्यायाधीश को इस प्रकार की टिप्पणी करनी चाहिए थी?
केन्द्र सरकार में कांग्रेस के शासन काल के दौरान हमें एन०सी०टी०ई० और एम०एच०आर०डी० द्वारा प्रशिक्षण की अनुमति मिलने के बाद ही हमारा प्रशिक्षण हुआ था। किन्तु भाजपा के शासन काल में हमारे खिलाफ काउंटर लगाया गया। और तमाम तरह की बहाने बाजी की गयी।
पूरे प्रदेश में 172000 शिक्षामित्रों की एकता और संख्या भी अभी तक इतना धन नहीं जुटा सकी कि किसी के खिलाफ उच्च न्यायालय की दोनों खण्डपीठों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक दो दर्जन से अधिक रिट पेटिशन डालकर उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के बड़े से बड़े अधिवक्ताओं के माध्यम से मुकदमा लड़ा जाय। किन्तु गिने चुने टेट धारकों और बी०टी०सी० वालों ने ऐसा कर दिखाया, कहाँ से आया इतना फण्ड?? शिक्षामित्रों के खिलाफ इस तरह से लड़ा जा रहा है जैसे कहीं कुबेर का खजाना रखा हो, जाओ निकालो और रिट डाल दो, बड़े से बड़े वकील को हायर कर लो। क्या इतना करना मजाक की बात है??
अभी ये तो सिर्फ शिक्षामित्रों की बात है। उ०प्र० राज्य सरकार ने अपने साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान अनगिनत भर्तियाँ निकाली और सब पर न्यायालय द्वारा स्टे हुआ है, यहाँ तक कि पुलिस की 41000 भर्तियों में नियुक्ति पत्र बँटने ही वाला था कि स्टे हो गया, समायोजित शिक्षक जो एक साल से वेतन पा रहे थे, बाहर हो गये।
क्या है ये सब? ये कुबेर का खजाना कहाँ से आ रहा है? जरा कल्पना करिये कि कौन इतना समय और पैसा लेकर बैठा है कि हर बात पर हाई कोर्ट? हर बात पर स्टे??
इन्हीं मा०हाई कोर्टों द्बारा अभी तक शिक्षामित्र मामले में कोई स्टे तक जारी नहीं किया था और हर बार दोहराते रहे कि ये उ०प्र० सरकात का नीतिगत निर्णय है। आज अचानक क्या हो गया कि हाई कोर्ट को पौने दो लाख शिक्षामित्रों की रोटी छीनकर उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया गया??
आज तक तो राज्य सरकारों ने नियमों में संशॊधन कर ही कभी बी०एड०, बी०पी०एड०, सी०पी०एड० वालों को विशेष प्रशिक्षण देकर शिक्षक बनाया, कभी नियम में संशोधन कर उर्दू मोअल्लिम आदि को शिक्षक बनाया, कभी संशोधन कर उर्दू शिक्षक बनाया। आज ये अचानक क्या हो गया कि हाई कोर्ट ये कह दिया कि राज्य सरकार को संशोधन का अधिकार ही नहीं है??
मित्रों ये मात्र एक पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है, आगामी विधान सभा चुनाव के लिए मुद्दों का निर्माण किया जा रहा है ताकि उ०प्र० के आगामी विधान सभा चुनाव में इन मुद्दों को उठाकर जनता को बेवकूफ बनाया जा सके।
सपा सरकार ने गरीब शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाकर अमीरी गरीबी की खाई को कम करने का प्रयास किया था जो इन्हें पसन्द नहीं आया। उ०प्र० सरकार हमारे साथ है, जो किसी भी स्तर से हमें शिक्षक बनाएगी। उसके पूर्व संगठन और सरकार दोनों ही मा० सुप्रीम कोर्ट जाएँगे। हम सबको देश के सबसे बड़े न्याय के मन्दिर पर पूरा भरोसा है, वहाँ हमें न्याय अवश्य मिलेगा। हमारे संगठनों को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका है, सभी संगठन एक हो चुके हैं। हम एक बार फिर से अपनी पूरी शक्ति और पूरी एकता के बल पर देश के सबसे बड़े से बड़ॆ अधिवक्ताओं को अनुबन्धित कर अपना पक्ष मा० सुप्रीम कोर्ट में पूरी दमदारी के साथ रखेंगे। मा० सुप्रीम कोर्ट में हमारे पक्ष को पूरी गम्भीरता से सुना जाएगा, और हमें न्याय अवश्य मिलेगा॥ अपनी एकता को एक बार फिर से दिखाने की आवश्यकता है। धन्यवाद॥
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