72825 के 55 प्रशिक्षु शिक्षकों की नियमविरुद्ध हो गई परीक्षा

शाहजहांपुर 1 जिन प्रशिक्षु शिक्षकों पर आने वाले दौर में नौनिहालों के भविष्य का दारोमदार पड़ेगा, वही अब अपने भविष्य बनाने के चक्कर में शासनादेश को ही धता बता दिए। पूरा प्रशिक्षण प्राप्त किए बिना ही समय से पूर्व ही परीक्षा में शामिल हो गए।
यह सब चुपचाप इतनी रजामंदी से हुआ कि डायट के आला अफसरों को भी भनक नहीं लगी। 72825 वर्ग के बीटीसी प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण के नियत 180 दिन पूर्ण होने से पूर्व ही अनियमित रूप से परीक्षा दे डाली। इतनी बड़ी अनियमितता यूं ही संपादित हो गई। इसमें डायट के तमाम स्टाफ की भी मिलीभगत शामिल रही। डायट में रिक्त चल रहे प्राचार्य पद का प्रशिक्षुओं ने जमकर फायदा उठाया। शासनादेश अनुसार सूबा में 72825 वर्ग की नियुक्तियों में चयनित प्रशिक्षुओं को तीन माह का क्रियात्मक तथा तीन माह का सैद्धांतिक प्रशिक्षण देने का प्रावधान है। प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत परीक्षा संपन्न कराने तथा परीक्षाफल प्राप्त होने के उपरांत नियुक्ति प्रदान करने के आदेश शासन ने जारी किए थे। इस अनुक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 12 अप्रैल, 2016 को आदेश जारी किया था कि ब्लॉक संसाधन केंद्र लालपुर ददरौल पर 20 अप्रैल, 2016 से सैद्धांतिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। आदेशानुसार बीआरसी ददरौल पर लगभग 55 प्रशिक्षुओं ने 20 अप्रैल से योगदान आख्या प्रस्तुत कर प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया तथा बीआरसी भावलखेड़ा पर 20 मई से 55 प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण प्रारंभ कराया गया। 20 अप्रैल से प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षुओं को तीन माह यानी 20 जुलाई को पूर्ण होने से पहले ही उनके परीक्षा फॉर्म अनियमित रूप से भरा दिये गए। डायट स्टाफ व प्रशिक्षुओं की सांठगांठ से 12 जुलाई, 2016 को प्रशिक्षुओं की परीक्षा संपन्न करा दी गई। अब डायट की चाहरदीवारी में यह सवाल तैर रहे हैं कि अनियमित रूप से संपन्न करायी गई परीक्षा में संलिप्त अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षकों के विरुद्ध विधिक व विभागीय कार्रवाई क्या होगी?

जबकि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ददरौल में 55 प्रशिक्षुओं की अवधि पूरी होने से पहले ही उनके परीक्षा फॉर्म अनियमित रूप से भराकर 12 जुलाई को उनकी परीक्षा संपन्न करा दी गई है।1मैंने अभी इसी सप्ताह कार्यभार संभाला है। इसलिए इस संबंध में कुछ पता नहीं है। यदि वास्तव में कुछ ऐसा हुआ है तो यह पूर्णतया शासनादेश के विरुद्ध है। समय से पूर्व किसी की भी परीक्षा संपादित नहीं कराई जा सकती है। जांच कराई जाएगी। यदि जांच में कुछ ऐसा पाया जाता है तो दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।1-राजेश शाही, प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, ददरौल।1डायट प्राचार्य ही परीक्षा संपादित कराते हैं। हमें तो पता भी नहीं लगता है कि कब परीक्षा फॉर्म भरा गया और कब प्रशिक्षण कहां-कहां संचालित होगा। इसमें बीएसए की कोई भूमिका नहीं होती है। परीक्षा के लिए पात्र-अपात्र का भी निर्णय डायट ही करता है।1-राकेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।
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