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शिक्षा मित्रो पर बहकावे की स्थिति हावी, रास्ते अनेक बस प्रयास बाकी

शिक्षा मित्रो पर बहकावे की स्थिति हावी, रास्ते अनेक बस प्रयास बाकी -
जिन लोगों पर शिक्षा मित्रों को वास्तविक स्थिति समझाने का दायित्व है, वह उनको जमीनी स्थिति समझाने की जगह बहकावे की स्थिति ला रहे हैं।

सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुध्द तो जा नहीं सकती, और अगर वह मानदेय 40 हज़ार कर दे तो अन्य संविदा पर कार्यरत अधिक योग्य ( मतलब अधिक क़वालीफिकेशन ) लोगों की मांग इससे भी ज्यादा की होगी, जबकि भर्ती की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है।
जैसे शिक्षा मित्रों को 2 अवसर दिए जा रहे हैं, किसी भी अन्य बेरोजगार युवा को नहीं, क्योकि शिक्षा मित्र शिक्षा व्यवस्था का अंग बन गए थे, लेकिन नियम कानूनों के कारण अधर में फंस गए।

10 हज़ार रुपये मानदेय इतना कम भी नहीं है, इस दौरान नियमित भर्ती हासिल कर रास्ता निकाला जा सकता है, इसके अलावा जो शिक्षक बनने में सफल नहीं हो पाते हैं, गुजारे भत्ते के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तलाशने के लिए सरकार से आग्रह करें जैसे मिड डे मील वितरण, विद्यालय सहायक, कार्यालय सहायक इत्यादि में, और स्वयं भी ऐसे प्रयास करें कि खुद कोई काम धंधा कर लें या कोई प्राइवेट नोकरी या अन्य कार्य

हिम्मत नही हारें : IMPOSSIBLE = I M POSSIBLE

शिक्षा मित्र इतने कमजोर भी नहीं है कि धरती पर अपना भार न उठा सकें,

नकारात्मक विचार त्यागें , मानव जीवन अमूल्य है, और प्रयास करेंगे तो नोकरी तो कुछ भी नहीं, बहुत कुछ कर जाएंगे
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