फैजाबाद . बीते माह भर से अधिक समय से चल रहे शिक्षामित्रों के प्रदर्शन और नाराजगी के बीच अब उनके नए मानदेय को लेकर विवाद खड़ा हो गया है .
प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों का दस हज़ार मानदेय करने पर शिक्षामित्रों ने आज फैजाबाद बीएसए कार्यालय पर विरोध कर धरना प्रदर्शन किया . इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में शिक्षामित्र और आन्दोलन कर रहे संगठन के नेता मौजूद रहे . सुबह से ही BSA कार्यालय पर जमे शिक्षामित्रों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला . शिक्षामित्रों के आन्दोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षक नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए जो मानदेय तय किया है वो हमें मान्य नही है . शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें अध्यापक बनाया जाए और उन्हें उनका सम्मान वापस दिलाया जाए . शिक्षक नेताओं ने तर्क दिया कि वर्तमान में एक सफाई कर्मी का वेतन भी 20 हजार रुपये है लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षामित्रों का वेतन सिर्फ 10 हजार तय किया है जो कि सरासर गलत है . इतने कम वेतन में न तो शिक्षामित्र अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है न खुद का . एक सफाई कर्मी से भी कम वेतन दे कर सरकार शिक्षामित्रों का अपमान कर रही है . शिक्षामित्र यह अपमान सहन नहीं करेंगे . शिक्षामित्रों की मांग है कि प्रदेश सरकार हज़ारों शिक्षामित्रों की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए विचार करे और इस मामले पर दखल देकर शिक्षामित्रों को उनका छीना गया सम्मान वापस दिलाये . वहीँ पूर्व से कम वेतनमान दिए जाने को लेकर एक बार फिर से बीएसए कार्यालय में शिक्षामित्रों का धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है . बुधवार को हुए प्रदर्शन के दौरान शिक्षामित्रों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के नाम से प्रेषित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा और मदद की गुहार लगाई . शिक्षामित्रों ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता तो शिक्षामित्रों का विरोध प्रदर्शन अनवरत जारी रहेगा और वह धरने से नहीं हटेंगे .
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प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों का दस हज़ार मानदेय करने पर शिक्षामित्रों ने आज फैजाबाद बीएसए कार्यालय पर विरोध कर धरना प्रदर्शन किया . इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में शिक्षामित्र और आन्दोलन कर रहे संगठन के नेता मौजूद रहे . सुबह से ही BSA कार्यालय पर जमे शिक्षामित्रों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला . शिक्षामित्रों के आन्दोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षक नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए जो मानदेय तय किया है वो हमें मान्य नही है . शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें अध्यापक बनाया जाए और उन्हें उनका सम्मान वापस दिलाया जाए . शिक्षक नेताओं ने तर्क दिया कि वर्तमान में एक सफाई कर्मी का वेतन भी 20 हजार रुपये है लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षामित्रों का वेतन सिर्फ 10 हजार तय किया है जो कि सरासर गलत है . इतने कम वेतन में न तो शिक्षामित्र अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है न खुद का . एक सफाई कर्मी से भी कम वेतन दे कर सरकार शिक्षामित्रों का अपमान कर रही है . शिक्षामित्र यह अपमान सहन नहीं करेंगे . शिक्षामित्रों की मांग है कि प्रदेश सरकार हज़ारों शिक्षामित्रों की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए विचार करे और इस मामले पर दखल देकर शिक्षामित्रों को उनका छीना गया सम्मान वापस दिलाये . वहीँ पूर्व से कम वेतनमान दिए जाने को लेकर एक बार फिर से बीएसए कार्यालय में शिक्षामित्रों का धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है . बुधवार को हुए प्रदर्शन के दौरान शिक्षामित्रों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के नाम से प्रेषित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा और मदद की गुहार लगाई . शिक्षामित्रों ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता तो शिक्षामित्रों का विरोध प्रदर्शन अनवरत जारी रहेगा और वह धरने से नहीं हटेंगे .
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