विरोध प्रदर्शनों से दूर हो रहे शिक्षामित्र, टीईटी परीक्षा की तैयारी में लगे

लखनऊ। शिक्षामित्रों का आन्दोलन भले ही शिक्षामित्र नेता आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हों लेकिन शिक्षामित्रों की आस सरकार से खत्म होती जा रही है। ऐसे में अब शिक्षामित्रों का रुझान प्रदर्शन में कम और टीईटी परीक्षा की तैयारी की ओर बढ़ चला है।
6 सितम्बर को एक बार फिर से आन्दोलन की शुरुआत बीएसए कार्यालय से हुई थी जिसमें तीन-साढ़े तीन सौ शिक्षामित्रों ने भाग लिया। संख्या को देखते हुए यह आन्दोलन ब्लॉक स्तर पर सिमट गया है। जंतर-मंतर पर तीन दिवसीय आन्दोलन रविवार से शुरू तो हुआ है जो 14 सितम्बर तक चलेगा, लेकिन इसमें शिक्षामित्र कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे।उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के धर्मेन्द्र यादव ने कहा, “ शिक्षामित्र अब 15 अक्टूबर को होने वाली टीईटी की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। मैं दिल्ली नहीं जा पाऊंगा।” एक शिक्षामित्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम चाहते हैं कि किसी तरह से परीक्षा पास कर लें ताकि खुद के साथ परिवार का भी भविष्य सुरक्षित हो सके। हालांकि कई नेता प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दबाव बनाते हैं।” प्राथमिक विद्यालय बटारी, देवरिया में शिक्षामित्र के तौर पर पढ़ाते रहे राजेश मणि ने कहा, “मैं टीईटी की परीक्षा देने की तैयारी कर रहा हूं। नौकरी को सत्रह वर्ष बीत चुके हैं तो लग नहीं रहा कि पास कर पाऊंगा लेकिन तैयारी कर रहा हूं। वैसे तो मैं शिक्षामित्रों के आन्दोलन के साथ हूं।”

सुप्रीम कोर्ट ने दी है परीक्षा के लिए दो मौके

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को गैरकानूनी ठहराया था। साथ ही शिक्षामित्रों को राहत देते हुए उन्हें तत्काल हटाने से मना कर दिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि समायोजित किए गए शिक्षामित्रों को हटाया नहीं जाएगा और शिक्षामित्रों के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। उन्हें इन्हीं 2 मौकों में परीक्षा पास करनी होगी, इसमें उन्हें अनुभव का भी लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन हुआ था उन्हें परीक्षा पास करने के 2 मौके मिलेंगे।
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