निजी स्कूलों की बेतहाशा फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए जो अध्यादेश
सरकार लाने जा रही है उसमें शिकायत पर ही कार्रवाई होगी। यह शिकायत भी केवल
स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक कर सकते हैं। इसमें किसी तीसरे
पक्ष की शिकायत का संज्ञान नहीं लिया जायेगा।
1प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने
मंगलवार को उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का
निर्धारण) अध्यादेश, 2018 के प्रारूप को मंजूरी दे दी है। माध्यमिक शिक्षा
विभाग अब इस अध्यादेश का गजट प्रकाशित कर राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेज
रहा है। इसमें जो प्रावधान हैं उनमें स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं
की अचानक बहुत अधिक फीस बढ़ाने पर अंकुश लगाया जायेगा। इस अध्यादेश के तहत
प्रत्येक मंडल में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जा रही है।
यह समिति केवल शिकायतों का संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी। अध्यादेश में
व्यवस्था दी जा रही है कि शिकायत केवल स्कूलों में पढ़ने वाले
छात्र-छात्रओं के माता-पिता या फिर स्थानीय अभिभावक जिनका नाम स्कूल के
रिकॉर्ड में दर्ज है, ही कर सकते हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की सचिव संध्या तिवारी इस बात की पुष्टि करती हैं कि
शिकायत केवल अभिभावक ही कर सकते हैं। यदि तीसरे पक्ष से शिकायत ली जायेगी
तो शिकायतों की भरमार हो जायेगी। उन्होंने बताया कि मंडलीय समिति भी शिकायत
तभी स्वीकार करेगी जब अभिभावक पहले स्कूल में प्रिंसिपल से लिखित शिकायत
करेंगे और वहां कोई सुनवाई न हो रही हो। प्रिंसिपल को शिकायत करने के 15
दिनों बाद यदि कोई कार्रवाई न हो तभी मंडलीय समिति में शिकायत दर्ज की जा
सकती है।
छात्रों के अभिभावकों की ही शिकायत होगी मान्य
किसी तीसरे पक्ष की शिकायत नहीं जायेगी मानी
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