किसी अफसर पर काम का बोझ तो कोई बिना काम का ही अफसर। शिक्षा निदेशालय
में अपर निदेशक स्तर के दो समकक्ष अफसरों का हाल कुछ ऐसा ही है।
माध्यमिक
शिक्षा महकमे ने इस परिपाटी पर पूर्णविराम लगा दिया है। शासन ने अपर शिक्षा
निदेशक माध्यमिक से प्रदेश भर के राजकीय कालेजों का कार्य लेकर अपर निदेशक
महिला को देने का आदेश दिया है। जल्द ही एडी महिला का पदनाम भी बदलकर एडी
राजकीय करने की तैयारी है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के इलाहाबाद मुख्यालय पर अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा
व अपर निदेशक महिला के दो समकक्ष पद लंबे समय हैं। इसमें एडी माध्यमिक
प्रदेश भर के साढ़े चार हजार से अधिक अशासकीय व दो हजार से अधिक राजकीय
कालेजों सहित अन्य सारे कार्य देखते आ रहे हैं। इससे उन पर कार्य का दबाव
हमेशा रहा और निदेशालय में वह प्रमुख अफसर भी कहे जाते रहे। वहीं, अपर
निदेशक महिला का पद वरिष्ठता में भले ही एडी माध्यमिक के समान है लेकिन, इस
पद पर नियुक्ति पाने वाले को कार्य व अधिकार एक भी नहीं दिए जाते रहे। एक
तरह से एडी महिला का पद निदेशालय में दंड का पद रहा है, जिस अफसर को हाशिए
पर रखना हो उसे यहां नियुक्ति दी गई। खास बात यह है कि माध्यमिक शिक्षा के
कई नामवर अफसर ‘देखि दिनन के फेर’ में इसी पद पर तैनाती पा चुके हैं।
पिछले वर्ष यूपी बोर्ड की सचिव रहीं शैल यादव को बोर्ड से हटाकर एडी महिला
के पद पर नियुक्त किया गया तब उन्होंने इस पद को कार्य देने का मुद्दा
उठाया था। हालांकि पद पर रहते उन्हें कार्य नहीं मिला और वह अक्टूबर में
सेवानिवृत्त हो गईं। उनकी मुहिम अब रंग लाई है। शासन ने दोनों अपर निदेशकों
का कर दिया है। गुरुवार को ही एडी महिला के पद पर अंजना गोयल की नियुक्ति
की गई है। उनके तैनाती आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि वह राजकीय कालेजों के
कार्य का तत्काल प्रभाव से दायित्व निर्वहन करेंगी। यानी अब एडी माध्यमिक
अशासकीय कालेज और एडी महिला राजकीय कालेजों का कार्य देखेंगी।
शिक्षा निदेशालय ने इस कार्य बंटवारे के साथ ही पद बदलने का भी शासन को
प्रस्ताव भेज दिया है। इसमें एडी महिला का पद एडी राजकीय किए जाने का
अनुरोध है। अफसरों के अनुसार जल्द ही शासन पदनाम भी बदलेगा।
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