कल अंतिम विकल्प न्यूज पोर्टल पर यह खबर चली की सरकार से आंगनबाड़ी
अनुदेशक शिक्षामित्र प्रेरक रोजगार सेवक नाराज है इस बजह से बीजेपी का यूपी
में ग्राफ कम हो रहा है आज इटावा में सीएम योगी ने बयान दिया की प्रदेश के
अनुदेशकों और आंगनबाड़ियों का मानदेय बढ़ाने के लिए हमारी सरकार बहुत जल्द
फैसला लेने जा रही है।
और शिक्षामित्रों को योग्यता के आधार पर अधिक से
अधिक को समायोजित किया जायेगा सीएम योगी कब क्या कहते है पता नही चलता
शिक्षामित्रों पर खुली भर्ती में लिखित परीक्षा थोपी अब समायोजन की बात कर
रहे क्या नई नियुक्ति को योगी जी समायोजन बता रहे है। अनुदेशकों को मानदेय
बढ़ाने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 मार्च 2018 को किया उसका अनुपालन
सरकार ने अभी तक नही किया आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री का मानदेय दस हजार करने का
वादा तीन माह पहले उनके धरना प्रदर्शन को समाप्त कराते समय किया था अभी
फैसला नही ले पाये। हाईकोर्ट के आदेशों और डायरेक्शन को सरकार दबा कर रखती
है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत RTE लागू होने से पहले लगे कर्मचारियों
को सेवारत प्रशिक्षित किया गया उन्हें प्रशिक्षित वेतनमान और नियमित करने
को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने 28 मार्च 2018 को आदेश /डायरेक्शन पारित किया दो
माह में कानून के अनुसार सरकार को निर्णय लेने के लिए कहा गया लेकिन सरकार
ऑर्डर पर अनुपालन नही कर रही है। योगी सरकार लोगो को पक्का रोजगार देना नही
चहाती इस लिए इस लिए सरकार के 14 महीने पूरे होने पर भी लोगो बेसिक शिक्षा
विभाग में 14 हजार भी अध्यापक भर्ती नही कर पाई 31 मार्च 2017 और 31 मार्च
2018 को मिला कर कुल 32 हजार अध्यापक बेसिक शिक्षा विभाग में रिटायर हो
चुके है। अभी पूर्व सरकार की निकाली गई भर्ती ही गतिमान है। योगी सरकार की
शिक्षामित्रो के समायोजन रद्द होने से रिक्त हुई सीटों पर जुलाई 2017 से
जुलाई 2018 आने बाला है एक भी नई नियुक्ति नही हो पाई है। योगी सरकार को
शिवराज सरकार से कुछ सीख लेना चाहिए।
देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
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