यूपी में शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा, घोटालेबाजों ने फर्जी वेबसाइट तक बना डाली, पढ़ें एबीपी गंगा की खास रिपोर्ट

लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (प्रयागराज) की अनुदानित विद्यालयों की शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जालसाजों ने फर्जी तरीके से शिक्षक भर्ती कराने के लिए बड़ा खेल खेला है। इन लोगों ने ना सिर्फ चयन बोर्ड की वेबसाइट से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बना डाली बल्कि उस पर फर्जी चयनित शिक्षकों की सूची भी अपलोड कर दी।



2 दर्जन से अधिक फर्जी नाम आये सामने


एबीपी गंगा की तहकीकात में अब तक करीब 27 ऐसे नाम सामने आ चुके हैं जिन्हें फर्जी तरीके से शिक्षकों की सूची में जोड़ा गया है। इनमे किसी सूची में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या को बढाकर फर्जी नाम जोड़े गए हैं तो कहीं चयनित अभ्यर्थी का नाम हटाकर फर्जी नाम लिख दिया गया।


लखनऊ से खुलनी शुरू हुई पोल


मध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की 2010 की शिक्षक भर्ती में अब तक नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। फर्जीवाड़े की पोल तब खुली जब डीआईओएस लखनऊ डॉ. मुकेश कुमार सिंह के पास डाक से दो लोगों की नियुक्ति के लिए सूची आई। इसमें औरैया के मो. शमी खां को लखनऊ का आदर्श उ.मा. विद्यालय अहमामऊ और वाराणसी के आशीष श्रीवास्तव को लखनऊ का कुम्हरावां इंटर कॉलेज आवंटित किया गया। डीआईओएस ने इन नामों को सत्यापन के लिए चयन बोर्ड के पास भेजा। वहां से पता चला की दोनों ही नाम फर्जी हैं।




जालसाजों ने बना डाली चयन बोर्ड की फर्जी वेबसाइट और सूची


डीआईओएस कार्यालय ने इसी बीच सूची का ऑनलाइन सत्यापन कराया तो एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जालसाजों ने बोर्ड की असली वेबसाइट से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बना रखी थी। फर्जी वेबसाइट पर चयनित शिक्षकों की एक सूची भी थी इसमें अधिकतर नाम उन अभ्यर्थियों के थे जो इस भर्ती में चयनित हुए हैं। इतना ही नहीं सूची के साथ असली सूची का कवरिंग लेटर भी हुबहू लगा दिया गया जिससे किसी को शक न हो। लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे फर्जी नाम भी शामिल थे जो शिक्षक भर्ती के लिए चयनित नहीं हुए। फर्जी सूची के हर पेज के नीचे अधिकारियों के हस्ताक्षर भी स्कैन करके लगा दिए गए। सत्यापन के दौरान शमी खां नाम का एक फर्जी अभ्यर्थी DIOS कार्यालय भी पहुंचा लेकिन तब तक किसी को इतने बड़े फर्जीवाड़े की भनक तक नहीं लगी थी इसी के चलते वह बच निकला। लखनऊ के अलावा बाराबंकी में भी ऐसे तीन मामले पकड़ में आये हैं।


भर्ती में फर्जीवाड़ा करके करोड़ों का खेल!


विभागीय सूत्रों की माने तो फर्जी तरीके से शिक्षक भर्ती के लिए एक एक अभ्यर्थी से 15 लाख तक रकम वसूलने की बात सामने आ रही है। इस तरह देखा जाये तो जालसाजों ने शिक्षक भर्ती के नाम पर करोड़ों रुपये का खेल खेला है। इंकार इस बात से भी नहीं किया जा सकता की इस खेल में बोर्ड के लोग भी शामिल हों। एबीपी गंगा की पड़ताल में लखनऊ, बाराबंकी, इटावा, हरदोई, महोबा, भदोही, रायबरेली, महाराजगंज, फीरोजाबाद, मैनपुरी समेत तमाम ऐसे जिलों के नाम सामने आये जहां फर्जी शिक्षक आवंटित किये गए हैं। हालांकि अब ये चयनबोर्ड की तफ्तीश में ही सामने आएगा की किन फर्जी अभ्यर्थियों को जॉइनिंग मिली और किसे नहीं।


केस 1: फर्जी शिक्षित स्नातक संवर्ग की सूची 6 में 18 नंबर पर औरैया के मो. शमी का का नाम लिखा है। इसे आवंटित कॉलेज आदर्श उ.मा. विद्यालय अहमामऊ, लखनऊ दिखाया गया है। जबकि असली सूची में सिर्फ 14 ही अभ्यर्थी है जिनमे शमी का नाम ही नहीं।


केस 2: इसी फर्जी में 12 नंबर पर आगरा के संदीप नाइक का नाम लिखा है, जबकि असल सूची में 12 नंबर पर मऊ की सरिता यादव का नाम है।


केस 3: फर्जी सूची 4 में 219 नंबर पर वाराणसी के आशीष श्रीवास्तव को लखनऊ का कुम्हरावां इंटर कॉलेज आवंटित है। जबकि असल सूची सिर्फ 214 तक ही है जिसमे आशीष श्रीवास्तव का नाम नहीं है। इस सूचि में करीब 1 दर्जन फर्जी नाम शामिल हैं।