शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला राज्यपाल तक पहुंचा



गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली के आरोपों का मामला राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उपमुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा के पास पहुंच गया है। इस सिलसिले में नगर विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने बुधवार को पत्र भी लिखा है। विधायक ने राज्यपाल व उच्च शिक्षामंत्री से इस मसले पर बात भी की। विधायक का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया की जांच कराई जाए। विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति का नियम भी बदला जाना चाहिए। डिग्री कॉलेजों की तरह ही विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों की नियुक्ति उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग से कराई जानी चाहिए। विधायक ने इस मामले को विधानसभा में उठाने का भरोसा दिलाया है।
शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला आरएसएस के पदाधिकारी व गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रो. राम अचल सिंह ने उठाया था। विधायक से मिलकर शिकायती पत्र भी दिया था। अब विधायक ने इस मामले को राज्यपाल तक पहुंचाया है। विधायक का कहना है कि गंभीर मामले पर जनता की राय ली गई है। शिकायती पत्र का ब्योरा सोशल मीडिया पर डाला गया था। जनता से मिली राय व सुझाव के साथ मामला राज्यपाल व शिक्षामंत्री के पास भेजने का फैसला हुआ है।
शिक्षकों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद के आरोप गंभीर हैं। पिछली सरकार में इसी तरह का मामला चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में हुआ था। मामले की जांच राज्यपाल ने कराई थी। भ्रष्टाचार का आरोप सही पाया गया था और तत्कालीन कुलपति प्रो. मुन्ना सिंह को बर्खास्त किया गया।
लिफाफा खुलने के दो दिन पहले ही सार्वजनिक हुई थी सूची
गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षक नियुक्ति में धांधली का आरोप पिछले वर्ष ही लगा था जब हिंदी के अलावा अन्य विषयों में नियुक्ति का लिफाफा खुला था। लेकिन मामला किसी तरह दबा दिया गया। पांच जुलाई 2019 को जब हिंदी का लिफाफा खोला गया तो कार्य परिषद की बैठक में ही पूर्व कुलपति प्रो रामअचल सिंह ने लिखित आपत्ति जताई थी और बैठक को छोड़कर चले गए।
हिंदी विभाग में दो ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की गई है जो अधिकतम दो साल तक ही पढ़ा सकेंगे। एक प्रोफेसर तो एक सरकारी विभाग से प्रशासनिक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जबकि दूसरी एक महिला शिक्षक के पति विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं। परिसर में इन नियुक्तियों को लेकर भी आपत्तियां आईं।
इंटरव्यू में मिला था तीन से चार मिनट
शिक्षक भर्ती में सबसे ज्यादा विरोध इंटरव्यू को लेकर है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि एक दिन में 100-100 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लिया गया। एक-एक अभ्यर्थी को तीन से चार मिनट ही दिए गए। कई अभ्यर्थियों से तो कोई सवाल ही नहीं पूछा गया। पूर्व कुलपति प्रो सिंह ने भी इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है।