लखनऊ : परिषदीय विद्यालयों में फर्जी शिक्षक इसलिए महफूज रहे, क्योंकि अनियमित तरीके से नियुक्त ऐसे लोगों को विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों का भी अभयदान मिलता रहा है। वहीं, विश्वविद्यालयों में भी फर्जी डिग्री का खेल चल रहा था।
पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने शासन को तीन साल पहले सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के फर्जी अंकपत्रों के आधार पर 2005-17 के दौरान 4570 अभ्यर्थियों ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति पाई। शासन ने ऐसे शिक्षकों की सूची जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया था लेकिन, अब तक इनमें से 1356 फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर इनमें से 926 को बर्खास्त किया जा सका है। आगरा के आंबेडकर विवि में बीएड सत्र 2004-05 में हुए फर्जी डिग्री के खेल को लेकर वर्ष 2013 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट की ओर से पांच मई 2014 को पारित आदेश के क्रम में रजिस्ट्रार जनरल के पास वर्ष 2013 से सर्वमोहर संरक्षित टैबुलेशन चार्ट की प्रति एसआइटी को उपलब्ध कराई गई। एसआइटी को आंबेडकर विवि आगरा द्वारा बीएड सत्र 2005 का मूल टैबुलेशन चार्ट भी उपलब्ध कराया गया, जो कि विविके किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा हस्ताक्षरित नहीं है। हाईकोर्ट में संरक्षित बीएड सत्र 2004-05 के चार्ट की जांच के बाद शासन ने 16 अक्टूबर 2015 को एसआइटी को मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश दिया था। एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर शिक्षकों के खिलाफ सेवा समाप्ति की कार्रवाई की सुस्त रफ्तार इसलिए है, क्योंकि जिला बेसिक शिक्षा कर्मी इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। मामले में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने भी वर्ष 2018 में सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन, इसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई।
पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने शासन को तीन साल पहले सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के फर्जी अंकपत्रों के आधार पर 2005-17 के दौरान 4570 अभ्यर्थियों ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति पाई। शासन ने ऐसे शिक्षकों की सूची जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया था लेकिन, अब तक इनमें से 1356 फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर इनमें से 926 को बर्खास्त किया जा सका है। आगरा के आंबेडकर विवि में बीएड सत्र 2004-05 में हुए फर्जी डिग्री के खेल को लेकर वर्ष 2013 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट की ओर से पांच मई 2014 को पारित आदेश के क्रम में रजिस्ट्रार जनरल के पास वर्ष 2013 से सर्वमोहर संरक्षित टैबुलेशन चार्ट की प्रति एसआइटी को उपलब्ध कराई गई। एसआइटी को आंबेडकर विवि आगरा द्वारा बीएड सत्र 2005 का मूल टैबुलेशन चार्ट भी उपलब्ध कराया गया, जो कि विविके किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा हस्ताक्षरित नहीं है। हाईकोर्ट में संरक्षित बीएड सत्र 2004-05 के चार्ट की जांच के बाद शासन ने 16 अक्टूबर 2015 को एसआइटी को मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश दिया था। एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर शिक्षकों के खिलाफ सेवा समाप्ति की कार्रवाई की सुस्त रफ्तार इसलिए है, क्योंकि जिला बेसिक शिक्षा कर्मी इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। मामले में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने भी वर्ष 2018 में सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन, इसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई।