प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2021 के लिए केंद्र निर्धारण पूरा हो चुका है। बोर्ड ने उन कालेजों की सूची जारी की है, जो परीक्षा केंद्र बनने से चूक गए। उन कालेजों की भी सूची सार्वजनिक हुई है, जो बोर्ड की ओर से प्रस्तावित थे, लेकिन जिला समितियों ने उन्हें बाहर कर दिया। केंद्र न बन पाने वाले 858 कालेजों की सूची जारी करके बोर्ड ने जिला विद्यालय निरीक्षकों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन कालेजों को जगह क्यों नहीं मिली, इसकी वजह भी लिखी गई है।
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 अप्रैल से होना प्रस्तावित हैं। इसके लिए 8513 केंद्रों की सूची बीती 27 फरवरी को जारी हुई थी। बोर्ड प्रशासन परीक्षा केंद्रों का निर्धारण कंप्यूटर के जरिये करता आ रहा है। इस बार भी कालेजों की आधारभूत सूचनाएं लेकर प्रस्तावित सूची जारी की गई। बोर्ड ने जिला समितियों के प्रस्ताव में बिना छेड़छाड़ किए उसे स्वीकृति दी है, क्योंकि नकलविहीन व शांतिपूर्ण परीक्षा कराने की जिम्मेदारी जिला समितियों की ही है। पहली बार बोर्ड ने उन कालेजों की सूची वेबसाइट पर जारी की है, जो परीक्षा केंद्र नहीं बन सके।
ऐसी दो सूची सार्वजनिक की गई हैं। पहली सूची में 103 ऐसे कालेजों के नाम सामने आए हैं, जो ऑनलाइन प्रस्तावित परीक्षा केंद्रों की सूची में शामिल थे, लेकिन जिला समिति ने उन्हें बाहर कर दिया। दूसरी सूची में 755 ऐसे कालेजों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनकी सूचना साफ्टवेयर पर निर्धारित मानकों पर नहीं दी गई थी। दोनों सूची में प्रदेश के लगभग सभी जिलों के चुनिंदा कालेजों का उल्लेख है। भले ही जिला समिति की अध्यक्षता संबंधित जिले के जिलाधिकारी करते हैं, लेकिन आधारभूत सूचनाएं देने से लेकर सत्यापन और उसे अपडेट करने की जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षकों की रही है।
दोनों सूची से बोर्ड ने जिला विद्यालय निरीक्षकों की कार्यशैली सार्वजनिक कर दिया है कि वे परीक्षा जैसे अहम कार्य पर भी गंभीर नहीं है। जिन कालेजों को फाइनल सूची में जगह नहीं मिली है, उस कारण का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। कई डिबार कालेजों को भी केंद्र बनाने की संस्तुति की गई थी।
’>>103 कालेजों को जगह मिली, लेकिन जिला समिति ने किया बाहर
’>>858 कालेजों की सूची जारी करके बोर्ड ने खड़े कर दिए सवाल