आपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत स्कूलों में सुविधाएंबढ़ाने के लिए होने वाले काम पूरा कराना अफसरों और शिक्षकों के लिए बवाल-ए-जान बन गया है। स्कूलों को ये काम कराने के लिए धनराशि ग्राम पंचायतों को देनी है और उन्हें हीयह काम कराना है। ग्राम पंचायतें इन पर ध्यान नहीं दे रही हैं। चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानों पर भी विराम लग गया है। इसका खामियाजा बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और प्रधानाध्यापक व इंचार्ज भुगतेंगे। यही हाल रहा तो प्रदेश में सैकड़ों शिक्षक अफसर सस्पेंड हो जाएंगे।
शिक्षा विभाग के स्तर से कायाकला के जो आदेश आएहैं, उसमें व्यावहारिक तौर पर कई तरह की दिक्कतें आरही हैं। उच्च स्तर से निम्न तक चेतावनी भरे पत्र तो भेज दिए गए लेकिन इसका हल उच्चाधिकारी नहीं बता रहे हैं। चेतावनी की स्थिति यह है कि कई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों ने अपनी जेब से खर्चकर काम पूरा कराने के प्रयास किए हैं।