उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यहां अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि कोविड के कारण यूपी बोर्ड कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद, इस बार कोई मेरिट सूची घोषित नहीं की जाएगी।
बैठक में यह निर्णय किया गया कि इन कक्षाओं के परिणाम से असंतुष्ट छात्रों को स्थिति में सुधार होने पर परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपने अंक बढ़ाने का उचित मौका मिल सके। वर्तमान में ज्यादातर अंक पिछली कक्षा में प्राप्त अंकों और पहले आयोजित किए गई प्री-बोर्ड परीक्षाओं के आधार पर दिए जाएंगे।इस मुद्दे पर बात करते हुए, माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हम छात्रों को एक विकल्प दे रहे हैं कि यदि वे रद्द की गई परीक्षा के अंकों से संतुष्ट नहीं हैं, तो बोर्ड उन्हें अगले साल उक्त परीक्षा में बैठने की अनुमति देगा। हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं होंगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इस साल कोविड -19 के कारण यूपी बोर्ड कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की अध्यक्षता में विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें करने और रद्द परीक्षाओं के लिए छात्रों को अंक देने के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। अंकों के निर्धारण के संबंध में अभिभावकों, शिक्षकों, शिक्षाविदों और आम जनता से लगभग 4,000 सुझाव प्राप्त हुए हैं। छात्रों के भी कई रचनात्मक सुझाव प्राप्त हुए हैं। यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए 56 लाख (56,04,628 सटीक) अंकों के तार्किक निर्धारण के संबंध में चर्चा अंतिम चरण में है। शुक्ला ने बताया कि हाईस्कूल के 40 और इंटरमीडिएट के 106 विषयों पर चर्चा हुई।
दरअसल, माध्यमिक शिक्षा विभाग में पिछले कई दिनों से बैठकें और चर्चा चल रही है। रविवार 13 जून को भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों से भी महत्वपूर्ण चर्चा की थी।