प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर 11 वर्ष से प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रहे सहायक अध्यापक की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि फर्जी मार्कशीट बनाने वाले रैकेट सामाजिक ढांचे को पंगु बना रहे हैं। इसके जरिये शिक्षा पद्धति की जड़ों को खोखला करके नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट से 11 वर्ष से नौकरी कर रहे सहायक अध्यापक की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूíत विवेक अग्रवाल ने कहा कि याची कोर्ट में समर्पण करके विवेचना में सहयोग करे। फर्जी मार्कशीट को लेकर याची के खिलाफ थाना अहमदगढ़, बुलंदशहर में एफआइआर दर्ज कराई। आरोप है कि वह आगरा विश्वविद्यालय से बीएड की फर्जी मार्कशीट के आधार पर अध्यापक नियुक्त हुआ। वर्ष 2009 से विद्यालय में पढ़ा रहा था। याची ने कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी। याची के अधिवक्ता का कहना था कि इस मार्कशीट को पाने में उसका कोई दोष नहीं है। उसे नहीं मालूम था कि उसे फर्जी मार्कशीट दी गई है, जबकि अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कांत का कहना था कि जांच में पता चला है कि डिग्री फर्जी तरीके से बांटी थी।