27 जुलाई की सुनवाई की बात हर जुबान पर, लेकिन हक़ीक़त क्या है?

27 जुलाई की सुनवाई में 99% सुनवाई सिर्फ 72825 पर होगी। ऐसा होने का मुख्य कारण 15 मामले राज्य के खिलाफ कॉन्टेम्प ऑफ़ कोर्ट के दाखिल हैं। इसके अलावा याचियों की आइए और सिविल अपील हैं। मुख्य केस 72825 का होने के कारण राज्य सरकार के अधिकारी और वकील ही 72825 पर बहस करेंगे।

अब बात शिक्षामित्र मामले की तो इस प्रकरण में संयुक्त सक्रिय संघ द्वारा 7 एसएलपी दाखिल की गई। और सातों में समायोजन को लेकर ही बिंदु उठाये गए। जबकि काम 1 या दो से भी चल सकता था। चूँकि भरपूर चन्दा मिला तो भरपूर खपत हुई।

27 जुलाई की सुनवाई की बात हर जुबान पर

अब सात वकीलों का खर्चा झेलो।

प्राथमिक की ओर से 2 या तीन

आदर्श संघ की भी 2 या तिन

दूरस्थ संघ की भी 2 या तीन एसएलपी हैं।

कुछ ज़िलों ने भी अपनी अलग से डाली हुई हैं।

अब कोई पूछे आप लोग वकीलों की सूचि डाल रहे हो और बता कुछ नहीं रहे। आखिर क्यों?

इतनी बड़ी संख्या में एसएलपी डाल के भी संतुष्ट नहीं हो।

जबकि अभी न तो सुनवाई हुई है और न ही होने की सम्भावना है। भई स्टे करवाया राज्य के वकील ने। और चंदे का इस्तेमाल आप ने किया नहीं फिर क्यों परेशान हो।
टॉप मोस्ट लाओ।।टॉप मोस्ट लाओ।।

ये नारा लगाने से क्या होगा। जब केटीएस तुलसी जैसा वकील आप से आप के मुंह पे आप को नाकारा और कलंक सिद्ध करता है और आप उसका नाम गर्व से पोस्ट में लिख देते हो। 17 लाख रुपए भी दे देते हो।

गोपाल सुभ्रमण्यम साहब कोर्ट में आते नही फिर भी 16 लाख का पेमेंट दे देते हो और उसकी रसीद भी पोस्ट करते हो। आखिर ऐसा क्या है जो आप के पास नहीं है। जिस की कमी से हिमांशु राणा तुम्हे कंपकपी छुड़वा देता है। और आप हर हर महादेव कहते हुए टॉप मोस्ट वकील करने के लिए आप शिक्षामित्र से चन्दा मांगने लगते हो। यही नहीं साथ ही आम शिक्षामित्र को उसके साथ बुरा होने का डर खौफ भी दिखाते हो। कि पैसा दो वर्ना सब खत्म हो जायेगा।

आखिर क्यों?

आखिर क्यों?

कोई जवाब देगा?

एक आम शिक्षामित्र#
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