🔴 *टीम संघ -सुप्रीम कोर्ट एक्सलूसिव अपडेट* 🔴
जजमेंट 25 जुलाई 2017 समीक्षा
_*ओम नारायण तिवारी*_✍🏼✍🏼...
🕹 _*आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं*_
माता पिता, ईश्वर, आप सभी वरिष्ठ साथियों के आशीर्वाद और सभी कनिष्ठ साथियों की शुभकामनाओं से हम सभी 29334 गणित/विज्ञान समेत समस्त अकैडिमिक चयनित अध्यापक अपने लक्ष्य मान सम्मान और आजीविका को बचाने में विजयी रहे।
💥उत्तर प्रदेश के लगभग 3.37 लाख बेसिक शिक्षकों का भविष्य माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में 25 जुलाई 2017 को निर्णित कर दिया। आदेश की बिंदुवार व्याख्या और उसके भविष्यगामी प्रभाव के बारे में विस्तृत रिपोर्ट इस पोस्ट के माध्यम से आपसे शेयर करूँगा। हालाँकि उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल जी के 18 अगस्त 2015 के आदेश जैसी इसमें जटिलता नहीं है हो सकता दोनों न्यायालयों के अधिकारों की सीमाओं के कारण ऐसा हो सकता है, लेकिन कल के माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश में काफी सरलता है और संक्षिप्त में ही सभी विवादों को अंत करते हुए, प्रदेश सरकार के अधिकार में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए राज्य को आगे भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार करने की छूट दी गयी है।
💥मुझ 29334 गणित/विज्ञान समेत समस्त अकादमिक भर्ती के अध्यापक साथियों को माननीय न्यायालय ने पूर्णतया सुरक्षित किया किन्तु ये जीत का जश्न अधूरा है क्योंकि हमारे शिक्षा मित्र साथी अध्यापकों के लिए निर्णय प्रतिकूल आया है और मानवीयता के आधार पर आदेश की प्रतिकूलता की संवेदनाओं के बीच जीत फीकी है।
➡शिक्षक भर्ती की इस लड़ाई में मुख्यता तीन पक्ष रहे हैं
👉 1. 66 हज़ार टीईटी से नियुक्ति पाये अध्यापक
👉2. 1.72 लाख शिक्षामित्र संयोजित सहायक अध्यापक
👉3. 99 हज़ार टीईटी पास अकादमिक अंको से नियुक्त अध्यापक
🕹माननीय उच्चतम न्यायालय का यह आदेश उच्च न्यायालय के 2 impugned जजमेन्ट के सापेक्ष था पहला " *शिवकुमार पाठक बनाम उत्तरप्रदेश सरकार" दिनांक 20-11-2013 जिसमे 12वें संशोधन को ठीक मानते हुए शिक्षक भर्ती का आधार टीईटी के अंकों को माना गया था।*
दूसरा शिक्षा मित्रों के खिलाफ *दिनांक 12-09-2015 का आदेश जिसमे सभी शिक्षामित्रों एवं शिक्षा मित्र समायोजित अध्यापकों का समायोजन रद्द किया गया था।*
🕹चूँकि 66 हज़ार टीईटी भर्ती और 99 हज़ार अकैडिमिक भर्ती, भर्ती नियम के आधार पर एक दूसरे के विपरीत रहे हैं इसलिए 99 हज़ार के सभी हाई कोर्ट के केसों के अनुसार 20-11-2013 के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार की सिविल अपील 4347 में आने वाले फैसले के आधार पर 99 हज़ार अकादमिक भर्ती का भविष्य तय होना था। *इसलिए 29334 गणित/विज्ञान समेत सभी अकादमिक भर्ती में हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्घ सुप्रीम कोर्ट में अपील फाइल की गयी जिनका निस्तारण सरकार की मुख्य सिविल अपील 4347-4376/2014 के साथ किया गया।*
_29334 गणित/विज्ञान सहित समस्त अकैडिमिक चयनित अध्यापकों का ये दुर्भाग्य था कि उन सभी को अपने सही होने के प्रमाण को बताने के लिए उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक इतना लंबा संघर्ष करना पड़ा, निश्चित रूप से अंतिम जीत सत्य की ही होती है अंततः अकादमिक साथियों के धैर्य, परिश्रम और संघर्ष की बदौलत विजयश्री प्राप्त की, अकादमिक साथियों ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा न सोचा सिर्फ अपनी नौकरी सुरक्षित करने की बात की साथ ही दूसरे शिक्षक साथियों के कल्याण के लिए हमेशा प्रयास किया परिणामस्वरूप ईश्वर ने उन्हें जीत से फलीभूत किया_
🕹माननीय न्यायलय के फैसले के 2 हिस्से हैं
👉1. 72,825 टेट और लगभग 99,000 अकादमिक भर्ती के संदर्भ में मुख्य याचिका 4347-4376/2014 " उत्तर प्रदेश सरकार बनाम शिव कुमार पाठक" का निस्तारण।
👉2. शिक्षा मित्र एवं समायोजित सहायक अध्यापकों के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा उनके समायोजन निरस्त करने के खिलाफ दायर की गयी अपीलों का निस्तारण।
इस पोस्ट में आइटम संख्या 1 TET और अकादमिक केस के आदेश की ही व्याख्या है। शिक्षा मित्र केस की व्याख्या अगली पोस्ट में करूँगा
मुख्य बिंदु आदेश के पैरा संख्या 14, 15 16 और 17 में है ।
🕹 *उच्च न्यायालय अल्लाहाबाद के फुल बेंच द्वारा 31 मई 2013 के शिवकुमार शर्मा के केस से उपजा शिक्षक भर्ती में TET weightage का विवाद आदेश के पैरा संख्या 14 में NCTE के द्वारा दिए गए affdavit और टीम संघ द्वारा दाखिल उसकी एक्सलूसिव खोज " _पंजाब एंड हरयाणा उच्च न्यायालय में NCTE के द्वारा दाखिल एफिडेविट_" रिटेन सबमिशन दाखिल करने के बाद ख़त्म हो गया। जिसमे NCTE ने स्वयं स्वीकार किया है कि NCTE guideलाइन्स में TET का weightage राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है बल्कि एक सुझाव मात्र है। ( ये वही डर था जो अकैडिमिक विरोधियों ने 2013 से 2017 तक सोसल मीडिया खूब उड़ाया और चारो तरफ डर का माहौल बनाकर याची चाची ताची का खेल खेलकर खूब पैसे बनाये।)*
पैरा संख्या 14 👇
( _Learned counsel for the NCTE submitted that notification dated 11th February, 2011 suggesting weightage to TET marks was merely a guideline and was not intended to be binding on the States. While TET was a mandatory requirement, weightage to The marks in the TET was merely a suggestion. This stand has also been taken by some of the learned counsel in connected matters. Reliance was placed on the stand of the NCTE in its affidavit dated 1st May, 2014 in CWP 346 of 2013 before the Punjab and Haryana High Court as follows_)
🕹 *साथ ही वो सभी RTI के जवाब जिन्होंने NCTE को 11 फरवरी 2011 की guidelines की व्याख्या के लिए मजबुर किया, बहुत प्रभावशाली रही 2 सितम्बर की RTI आदेश में पैरासंख्या 15 में quote की गयी जिसके अनुसार Guidelines सिर्फ टेट के weightage का सुझाव देती है बाध्यता नहीं।*
पैरा संख्या 15 👇👇
( _Reliance was also placed on clarification dated 2nd september, 2016 by NCTE in reply to a question under the Right to Information Act, 2005(at page no. 733 of the SLP paper book inSLP (Civil)No.1121 of 2017) as follows_)
👉“1. CTET/TET is an examination to qualify to become eligible for appointment as a teacher from classes I to VIII.
👉2. There is no binding to State/Central
Government to select the candidate as a teacher
basis on TET marks. TET is just eligibility for the
appointment of teachers.”.
🕹 *आदेश के पैरा संख्या 16 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्वयं इस बात की व्याख्या दी उच्च न्यायालय द्वारा 15वें संसोधन के संदर्भ में दी गयी राय में हस्तक्षेप आवश्यक है अर्थात 15वें शंशोधन में भर्ती की प्रक्रिया ठीक है और NCTE के द्वारा मांगी गयी टेट की परीक्षा पास करना अनिवार्य है लेकिन भर्ती प्रक्रिया टेट का weightage अनिवार्य नहीं है।*
पैरा संख्या 16👇👇
( _However, since NCTE itself has taken the stand that notification dated 11th February, 2011 with regard to the weightage to be given to the marks obtained in TET is not mandatory which is also a possibleinterpretation, the view of the High Court in quashing the 15th Amendment to the 1981 Rules has to be interfered with. Accordingly, while we uphold the view that qualifications prescribed by the NCTE are binding, requirement ofweightage to TET marks is not a mandatory requirement_)
अर्थात सरकार के लिए टेट का weightage देना बाध्यता नहीं है
🕹 *माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा NCTE की पावर डिफाइन करने प्रभाव ये हुआ कि शिव कुमार शर्मा फुल बेंच, शिव कुमार पाठक के आदेश स्वतः गलत साबित हुए और सरकार की सिविल अपील allow होते हुए15वां संशोधन गुणात्मक रूपसे अस्तित्व में आ गया।*
पैरा संख्या 17 में माननीय न्यायालय ने कहा कि सामान्य परिस्थितयों में 15वें संशोधन से भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ना चाहिए लेकिन इन सभी अपीलों के दौरान हुए घटनाक्रम के कारण ये संभव नहीं है और सरकार इसमें उचित निर्णय ले सकती है
पैरा संख्या 17 👇👇
( _As a result of above, in normal course the State would have been at liberty to proceed with the selection in terms of advertisement dated 7th December, 2012 in accordance with the amended rules by way of 15th amendment, in view of developments which have taken place during pendency of these appeals, the said advertisement cannot proceed and while upholding the said advertisement, relief has to be moulded in the light of developments that have taken place in the interregnum._)
🕹 *पैरा संख्या 18 में चूँकि माननीय उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश के अंतर्गत 72000 में लगभग 66000 अध्यापक नियुक्ति हुए इसलिए उसे दया का पात्र मानते हुए allow किया गया। अंतरिम आदेश के तहत आदेशित किये गए पैरामीटर के आधार पर 72825 में बचे शेष पदों पर सरकार अपना निर्णय ले सकती है।*
परिणाम:- 29334 गणित/विज्ञान सहित समस्त अकादमिक भर्ती के तर्कों से न्यायालय पूरी तरह संतुष्ट हुई और अकैडिमिक भर्ती के पक्ष को टेट भर्ती के सापेक्ष सही मानते हुए सोशल मीडिया में अकैडिमिक विरोधियों के मुह में हमेशा के लिए टाला लगा दिया।
*विशेष :- टीम उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश की तरफ से सभी जूनियर गणित/विज्ञान समेत समस्त अकैडिमिक शिक्षकों को शुभकामनायें और इस लक्ष्य प्राप्ति में उनके द्वारा किये अथक प्रयासों को मेरा कोटि कोटि नमन🙏🙏*
शिक्षा मित्र / शिक्षा मित्र समायोजित अध्यापको के आदेश की विस्तृत व्याख्या मेरे अगली पोस्ट में। सभी शिक्षामित्र अध्यापकों के साथ मेरी पूर्ण आत्मीय संवेदनाएं है आप सभी से निवेदन है आप सभी अपने हक़ की लड़ाई धैर्यपूर्वक लड़े समय विपरीत जरूर है लेकिन आपको अपना उचित हक़ सरकार से जरूर मिलेगा ईश्वर आपकी मदद जरूर करेगा।🙏
धन्यवाद
आपका साथी
ओम नारायण तिवारी
9868219376(WA)
8077806472
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
जजमेंट 25 जुलाई 2017 समीक्षा
_*ओम नारायण तिवारी*_✍🏼✍🏼...
🕹 _*आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं*_
माता पिता, ईश्वर, आप सभी वरिष्ठ साथियों के आशीर्वाद और सभी कनिष्ठ साथियों की शुभकामनाओं से हम सभी 29334 गणित/विज्ञान समेत समस्त अकैडिमिक चयनित अध्यापक अपने लक्ष्य मान सम्मान और आजीविका को बचाने में विजयी रहे।
💥उत्तर प्रदेश के लगभग 3.37 लाख बेसिक शिक्षकों का भविष्य माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में 25 जुलाई 2017 को निर्णित कर दिया। आदेश की बिंदुवार व्याख्या और उसके भविष्यगामी प्रभाव के बारे में विस्तृत रिपोर्ट इस पोस्ट के माध्यम से आपसे शेयर करूँगा। हालाँकि उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल जी के 18 अगस्त 2015 के आदेश जैसी इसमें जटिलता नहीं है हो सकता दोनों न्यायालयों के अधिकारों की सीमाओं के कारण ऐसा हो सकता है, लेकिन कल के माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश में काफी सरलता है और संक्षिप्त में ही सभी विवादों को अंत करते हुए, प्रदेश सरकार के अधिकार में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए राज्य को आगे भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार करने की छूट दी गयी है।
💥मुझ 29334 गणित/विज्ञान समेत समस्त अकादमिक भर्ती के अध्यापक साथियों को माननीय न्यायालय ने पूर्णतया सुरक्षित किया किन्तु ये जीत का जश्न अधूरा है क्योंकि हमारे शिक्षा मित्र साथी अध्यापकों के लिए निर्णय प्रतिकूल आया है और मानवीयता के आधार पर आदेश की प्रतिकूलता की संवेदनाओं के बीच जीत फीकी है।
➡शिक्षक भर्ती की इस लड़ाई में मुख्यता तीन पक्ष रहे हैं
👉 1. 66 हज़ार टीईटी से नियुक्ति पाये अध्यापक
👉2. 1.72 लाख शिक्षामित्र संयोजित सहायक अध्यापक
👉3. 99 हज़ार टीईटी पास अकादमिक अंको से नियुक्त अध्यापक
🕹माननीय उच्चतम न्यायालय का यह आदेश उच्च न्यायालय के 2 impugned जजमेन्ट के सापेक्ष था पहला " *शिवकुमार पाठक बनाम उत्तरप्रदेश सरकार" दिनांक 20-11-2013 जिसमे 12वें संशोधन को ठीक मानते हुए शिक्षक भर्ती का आधार टीईटी के अंकों को माना गया था।*
दूसरा शिक्षा मित्रों के खिलाफ *दिनांक 12-09-2015 का आदेश जिसमे सभी शिक्षामित्रों एवं शिक्षा मित्र समायोजित अध्यापकों का समायोजन रद्द किया गया था।*
🕹चूँकि 66 हज़ार टीईटी भर्ती और 99 हज़ार अकैडिमिक भर्ती, भर्ती नियम के आधार पर एक दूसरे के विपरीत रहे हैं इसलिए 99 हज़ार के सभी हाई कोर्ट के केसों के अनुसार 20-11-2013 के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार की सिविल अपील 4347 में आने वाले फैसले के आधार पर 99 हज़ार अकादमिक भर्ती का भविष्य तय होना था। *इसलिए 29334 गणित/विज्ञान समेत सभी अकादमिक भर्ती में हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्घ सुप्रीम कोर्ट में अपील फाइल की गयी जिनका निस्तारण सरकार की मुख्य सिविल अपील 4347-4376/2014 के साथ किया गया।*
_29334 गणित/विज्ञान सहित समस्त अकैडिमिक चयनित अध्यापकों का ये दुर्भाग्य था कि उन सभी को अपने सही होने के प्रमाण को बताने के लिए उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक इतना लंबा संघर्ष करना पड़ा, निश्चित रूप से अंतिम जीत सत्य की ही होती है अंततः अकादमिक साथियों के धैर्य, परिश्रम और संघर्ष की बदौलत विजयश्री प्राप्त की, अकादमिक साथियों ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा न सोचा सिर्फ अपनी नौकरी सुरक्षित करने की बात की साथ ही दूसरे शिक्षक साथियों के कल्याण के लिए हमेशा प्रयास किया परिणामस्वरूप ईश्वर ने उन्हें जीत से फलीभूत किया_
🕹माननीय न्यायलय के फैसले के 2 हिस्से हैं
👉1. 72,825 टेट और लगभग 99,000 अकादमिक भर्ती के संदर्भ में मुख्य याचिका 4347-4376/2014 " उत्तर प्रदेश सरकार बनाम शिव कुमार पाठक" का निस्तारण।
👉2. शिक्षा मित्र एवं समायोजित सहायक अध्यापकों के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा उनके समायोजन निरस्त करने के खिलाफ दायर की गयी अपीलों का निस्तारण।
इस पोस्ट में आइटम संख्या 1 TET और अकादमिक केस के आदेश की ही व्याख्या है। शिक्षा मित्र केस की व्याख्या अगली पोस्ट में करूँगा
मुख्य बिंदु आदेश के पैरा संख्या 14, 15 16 और 17 में है ।
🕹 *उच्च न्यायालय अल्लाहाबाद के फुल बेंच द्वारा 31 मई 2013 के शिवकुमार शर्मा के केस से उपजा शिक्षक भर्ती में TET weightage का विवाद आदेश के पैरा संख्या 14 में NCTE के द्वारा दिए गए affdavit और टीम संघ द्वारा दाखिल उसकी एक्सलूसिव खोज " _पंजाब एंड हरयाणा उच्च न्यायालय में NCTE के द्वारा दाखिल एफिडेविट_" रिटेन सबमिशन दाखिल करने के बाद ख़त्म हो गया। जिसमे NCTE ने स्वयं स्वीकार किया है कि NCTE guideलाइन्स में TET का weightage राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है बल्कि एक सुझाव मात्र है। ( ये वही डर था जो अकैडिमिक विरोधियों ने 2013 से 2017 तक सोसल मीडिया खूब उड़ाया और चारो तरफ डर का माहौल बनाकर याची चाची ताची का खेल खेलकर खूब पैसे बनाये।)*
पैरा संख्या 14 👇
( _Learned counsel for the NCTE submitted that notification dated 11th February, 2011 suggesting weightage to TET marks was merely a guideline and was not intended to be binding on the States. While TET was a mandatory requirement, weightage to The marks in the TET was merely a suggestion. This stand has also been taken by some of the learned counsel in connected matters. Reliance was placed on the stand of the NCTE in its affidavit dated 1st May, 2014 in CWP 346 of 2013 before the Punjab and Haryana High Court as follows_)
🕹 *साथ ही वो सभी RTI के जवाब जिन्होंने NCTE को 11 फरवरी 2011 की guidelines की व्याख्या के लिए मजबुर किया, बहुत प्रभावशाली रही 2 सितम्बर की RTI आदेश में पैरासंख्या 15 में quote की गयी जिसके अनुसार Guidelines सिर्फ टेट के weightage का सुझाव देती है बाध्यता नहीं।*
पैरा संख्या 15 👇👇
( _Reliance was also placed on clarification dated 2nd september, 2016 by NCTE in reply to a question under the Right to Information Act, 2005(at page no. 733 of the SLP paper book inSLP (Civil)No.1121 of 2017) as follows_)
👉“1. CTET/TET is an examination to qualify to become eligible for appointment as a teacher from classes I to VIII.
👉2. There is no binding to State/Central
Government to select the candidate as a teacher
basis on TET marks. TET is just eligibility for the
appointment of teachers.”.
🕹 *आदेश के पैरा संख्या 16 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्वयं इस बात की व्याख्या दी उच्च न्यायालय द्वारा 15वें संसोधन के संदर्भ में दी गयी राय में हस्तक्षेप आवश्यक है अर्थात 15वें शंशोधन में भर्ती की प्रक्रिया ठीक है और NCTE के द्वारा मांगी गयी टेट की परीक्षा पास करना अनिवार्य है लेकिन भर्ती प्रक्रिया टेट का weightage अनिवार्य नहीं है।*
पैरा संख्या 16👇👇
( _However, since NCTE itself has taken the stand that notification dated 11th February, 2011 with regard to the weightage to be given to the marks obtained in TET is not mandatory which is also a possibleinterpretation, the view of the High Court in quashing the 15th Amendment to the 1981 Rules has to be interfered with. Accordingly, while we uphold the view that qualifications prescribed by the NCTE are binding, requirement ofweightage to TET marks is not a mandatory requirement_)
अर्थात सरकार के लिए टेट का weightage देना बाध्यता नहीं है
🕹 *माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा NCTE की पावर डिफाइन करने प्रभाव ये हुआ कि शिव कुमार शर्मा फुल बेंच, शिव कुमार पाठक के आदेश स्वतः गलत साबित हुए और सरकार की सिविल अपील allow होते हुए15वां संशोधन गुणात्मक रूपसे अस्तित्व में आ गया।*
पैरा संख्या 17 में माननीय न्यायालय ने कहा कि सामान्य परिस्थितयों में 15वें संशोधन से भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ना चाहिए लेकिन इन सभी अपीलों के दौरान हुए घटनाक्रम के कारण ये संभव नहीं है और सरकार इसमें उचित निर्णय ले सकती है
पैरा संख्या 17 👇👇
( _As a result of above, in normal course the State would have been at liberty to proceed with the selection in terms of advertisement dated 7th December, 2012 in accordance with the amended rules by way of 15th amendment, in view of developments which have taken place during pendency of these appeals, the said advertisement cannot proceed and while upholding the said advertisement, relief has to be moulded in the light of developments that have taken place in the interregnum._)
🕹 *पैरा संख्या 18 में चूँकि माननीय उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश के अंतर्गत 72000 में लगभग 66000 अध्यापक नियुक्ति हुए इसलिए उसे दया का पात्र मानते हुए allow किया गया। अंतरिम आदेश के तहत आदेशित किये गए पैरामीटर के आधार पर 72825 में बचे शेष पदों पर सरकार अपना निर्णय ले सकती है।*
परिणाम:- 29334 गणित/विज्ञान सहित समस्त अकादमिक भर्ती के तर्कों से न्यायालय पूरी तरह संतुष्ट हुई और अकैडिमिक भर्ती के पक्ष को टेट भर्ती के सापेक्ष सही मानते हुए सोशल मीडिया में अकैडिमिक विरोधियों के मुह में हमेशा के लिए टाला लगा दिया।
*विशेष :- टीम उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश की तरफ से सभी जूनियर गणित/विज्ञान समेत समस्त अकैडिमिक शिक्षकों को शुभकामनायें और इस लक्ष्य प्राप्ति में उनके द्वारा किये अथक प्रयासों को मेरा कोटि कोटि नमन🙏🙏*
शिक्षा मित्र / शिक्षा मित्र समायोजित अध्यापको के आदेश की विस्तृत व्याख्या मेरे अगली पोस्ट में। सभी शिक्षामित्र अध्यापकों के साथ मेरी पूर्ण आत्मीय संवेदनाएं है आप सभी से निवेदन है आप सभी अपने हक़ की लड़ाई धैर्यपूर्वक लड़े समय विपरीत जरूर है लेकिन आपको अपना उचित हक़ सरकार से जरूर मिलेगा ईश्वर आपकी मदद जरूर करेगा।🙏
धन्यवाद
आपका साथी
ओम नारायण तिवारी
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