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शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को रद्द करने के बाद फिर से बड़ा फैसला सुनाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को रद्द करने के बाद फिर से बड़ा फैसला सुनाया है। अब हाईकोर्ट ने प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में चयनित शिक्षामित्रों को इस पद पर कार्यभार ग्रहण की अनुमति दिये जाने की मांग को ठुकरा दिया है।



कोर्ट ने राज्य सरकार को 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती में खाली रह गये 6160 पदों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार निर्णय लेने की छूट दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 66655 शिक्षकों की नियुक्ति के बाद खाली बचे 6160 पदों को नया विज्ञापन जारी कर भर्ती करने का राज्य सरकार को आदेश दिया है।

यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल ने अरविन्द कुमार व कई अन्य याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। मालूम हो कि, राज्य सरकार ने 26 मई 1999 को मानदेय पर शिक्षामित्रों को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए नियुक्ति करने का फैसला लिया था। ग्राम स्तरीय कमिटी की संस्तुति पर जिला स्तरीय कमिटी के अनुमोदन से शिक्षा मित्रों की नियुक्ति की गई। यह नियुक्तियां सर्वशिक्षा अभियान को अमली जामा पहनाने के लिए की गई।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने दो वर्षीय डिप्लोमा लिया और टीईटी पास किया और प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में चयनित हुआ। इसी बीच राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। 19 जून 2013 शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी पुष्टि की।

इस फैसले के बाद प्रशिक्षु शिक्षक पद पर चयनित याचियों ने समायोजन निरस्त होने के बाद सहायक अध्यापक पद पर जॉइनिंग कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।
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