इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पैरा अध्यापकों को
38,878 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से वेतन भुगतान की मांग में प्रदेश सरकार
के समक्ष विचाराधीन प्रत्यावेदन दो महीने में निर्णीत करने का आदेश दिया
है। कोर्ट के इस आदेश से उन शिक्षामित्र याचियों को बड़ी राहत मिली है,
जिन्होंने पैरा अध्यापक के रूप में भारत सरकार की ओर से प्रदत्त 38,878
रुपये वेतन के अनुसार एक साल का सत्र 2017-18 का भुगतान निर्गत करने की
मांग की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने शिवपूजन सिंह सहित 40 शिक्षामित्रों
की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। याची का कहना है कि केंद्र सरकार ने
15 मई, 2017 को बजट स्वीकृत कर दिया है लेकिन, मानदेय का भुगतान नहीं किया
जा रहा है। शिक्षामित्र शिवपूजन सिंह व 39 अन्य याचियों ने हाईकोर्ट में
याचिका दाखिल की थी जिसमें शिक्षामित्रों को पैरा अध्यापक के रूप में भारत
सरकार की ओर से प्रदत्त 38,878 रुपये प्रतिमाह वेतन दिलाए जाने की मांग की
थी। याचियों की ओर से अधिवक्ता विवेक कुमार सिंह और सरकार की ओर से मुख्य
स्थायी अधिवक्ता अशोक कुमार यादव ने बहस की। कोर्ट ने सरकार को निर्देश
दिया कि याचीगणों की मांग को दो माह में न्यायसंगत ढंग से पूर्ण करें।
गौरतलब है कि शीर्ष कोर्ट ने 25 जुलाई, 2017 को परिषदीय विद्यालयों में
बतौर सहायक अध्यापक शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया है। इस आदेश के
बाद शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस कर दिया गया, हालांकि उन्हें अब
10 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है।
ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश से शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिली है। फिलहाल
यह आदेश याचियों को लाभ पहुंचा सकता है। इसके बाद अन्य शिक्षामित्रों के भी
इसी राह पर बढ़ने का रास्ता भी हाईकोर्ट से निकला है।
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