नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में अभी पुराने विवाद का तूफान थमा नहीं था
कि एक नये विवाद ने करवट लेना शुरू कर दिया है। पहले न्यायिक सुचिता का
सवाल उठा था, अब न्यायिक अनुशासन के सवाल पर सर्वोच्च अदालत की पीठें
आमने-सामने हैं।
गत बुधवार को तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने समान क्षमता
वाली पीठ का फैसला रद किये जाने को न्यायिक अनुशासन की अनदेखी बताते हुए
सवाल उठाया था। साथ ही मामला बड़ी पीठ को भेजने पर विचार का मन बनाते हुए
हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की पीठों से आग्रह किया था कि वे फिलहाल भूमि
अधिग्रहण के मामलों की सुनवाई टाल दें। लेकिन गुरुवार को जस्टिस अरुण मिश्र
और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने न्यायिक अनुशासन के विवाद से जुड़ा पूरा
प्रकरण मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया। इस प्रकरण की खास बात यह भी है कि
न्यायिक अनुशासन के फेर में आयी पीठों के न्यायाधीशों में वे न्यायाधीश भी
शामिल हैं जो पिछले विवाद के केंद्र में थे। जिन पीठों के फैसले और आदेश
विचार के घेरे में आये हैं, उनमें जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस कुरियन
जोसेफ व जस्टिस अरुण मिश्र शामिल थे।
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