देहरादून। उत्तराखंड में अभी भी शिक्षा विभाग और
शिक्षकों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अतिथि शिक्षकों के बाद अब
शिक्षा मित्रों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बता दें कि
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित करने की मांग को
लेकर शिक्षा मित्रों ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। इन शिक्षकों ने
शुक्रवार यानी की 22 जून को सचिवालय कूच और जेल भरो आंदोलन की शुरुआत करने
का ऐलान किया है। गौर करने वाली बात है कि शिक्षा मित्र एक लंबे समय से
अपनी मांगों को लेकर शिक्षा निदेशालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौरतलब
है कि शिक्षा मित्रों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे शिक्षामित्र
क्रांतिकारी महासंघ के अध्यक्ष पुरण सिंह राणा ने कहा कि शिक्षामित्र कई
वर्षो से अध्यापन कार्य कर रहे हैं और समय-समय पर जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थानों में सेवारत प्रशिक्षण भी लिया है। इसके अलावा एनसीटीई
की अनुमति के बाद राज्य सरकार ने दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण इग्नू से
कराया गया। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्र के पहले बैच का प्रशिक्षण खत्म
होने के बाद सरकार की तरफ से उन्हें सहायक शिक्षक के पदों पर नियुक्ति भी
दी गई लेकिन उसके बाद प्रशिक्षण पूरा कर चुके शिक्षकों के बारे में कोई
विचार नहीं किया जा रहा है।
यहां
गौर करने वाली बात है कि फिलहाल 700 से ज्यादा शिक्षामित्र समायोजन के
इंतजार में बैठे हैं लेकिन सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा
है। विभाग लगातार उनकी अनदेखी कर रहा है। उनके अन्य साथी समायोजन के बाद वे
शिक्षक का वेतनमान ले रहे हैं जबकि शिक्षामित्रों को मात्र 15 हजार रुपये
मानदेय दिया जा रहा है।
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- Shikshamitra Appointment: 2001 में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों के सापेक्ष ही हुई थी