इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र के पूर्व अध्यक्ष
हीरालाल गुप्त ने कहा है कि स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता यानी टीजीटी-पीजीटी
2016 के घोषित विज्ञापन में कोई खेल नहीं है। चयन बोर्ड एक भर्ती संस्था
है, उसे जिलों से जिन पदों का अधियाचन मिला, उसका विज्ञापन निकाला गया।
बोले, चयन बोर्ड न अधियाचन भेजता है और न भर्ती की अर्हता तय करता है, तब
विज्ञापन कैसे गलत हो सकता है? यह भी कहा कि ये सवाल अधियाचन भेजने वाले
अफसरों से पूछा जाना चाहिए कि आखिर उन्होंने ऐसे विषयों के रिक्त पदों का
ब्योरा क्यों भेजा, जिनकी पढ़ाई नहीं हो रही है। 1चयन बोर्ड ने गुरुवार को
टीजीटी-पीजीटी 2016 के आठ विषयों का विज्ञापन निरस्त कर दिया है। ये
विज्ञापन पूर्व अध्यक्ष गुप्त के ही कार्यकाल में निकाला गया था। ‘दैनिक
जागरण’ से दूरभाष पर उन्होंने कहा कि जो विषय हाईस्कूल व इंटर में पढ़ाए
नहीं जा रहे उनका विज्ञापन निकालने की जांच समिति गठित करने की जरूरत ही
नहीं है, बल्कि चयन बोर्ड में 2016 के लिए प्रदेश के हर जिले से मिले
अधियाचन रखे हैं। अफसर केवल उन्हें पलट लें पता चल जाएगा किन जिला विद्यालय
निरीक्षकों ने ऐसे पद भेजे थे। पहले पद निरस्त करना और फिर जांच कराकर
दोषी खोजने की जटिल प्रक्रिया अपनाने की जरूरत क्या है? अफसर चाहते तो पद
निरस्त करने की घोषणा के साथ ही गलत विज्ञापन भेजने वाले डीआइओएस का जिला व
नाम बता सकते थे। जब उन्होंने 27 फरवरी 2016 को चयन बोर्ड का कार्यभार
संभाला तो उसके पहले 2013 की लिखित परीक्षा हो चुकी थी। ओएमआर का मूल्यांकन
कराने के लिए उन्होंने कार्बन कॉपी आदि का इस्तेमाल किया, ताकि
अभ्यर्थियों का नुकसान न हो और सही व्यक्ति चयनित हो सके।
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