चयन बोर्ड से चयनित करीब 700 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्हें अब तक
आवंटित कालेजों में नियुक्ति नहीं मिली है। इस संबंध में अफसरों का कहना है
कि कालेजों ने पहले अधियाचन भेजा, बाद में वह पद प्रमोशन या फिर तबादले से
भर लिए गए।
इससे अभ्यर्थी वापस हो गए, लेकिन स्याह पक्ष यह भी है कि कई
ऐसे विषय हैं कि जिन पर चयन हो गया, जब वह अभ्यर्थी कालेज गए तो प्रबंधन व
प्रधानाचार्य ने नियुक्ति दिलाने से मना कर दिया। कहा जा रहा है कि 2016 के
पद दुरुस्त न किए जाते तो समायोजन के समय समस्या खड़ी होती। सवाल उठ रहा
है कि आखिर जीव विज्ञान कालेजों में न होने के बाद भी आखिर कैसे
अभ्यर्थियों को जिलों में नियुक्ति मिल गई है।
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