इलाहाबाद : यूपी बोर्ड ने इधर के वर्षो के अंक सहप्रमाणपत्र ऑनलाइन
अपलोड कर दिया है। छात्र-छात्रओं व अभिभावकों को पुराने अंक व प्रमाणपत्रों
के लिए दौड़ न लगानी पड़े इस संबंध में आदेश पिछले वर्ष हो चुका है लेकिन,
अब तक बोर्ड प्रशासन को यह कार्य पूरा करने वाली संस्था नहीं मिल सकी है।
इसलिए प्रक्रिया अधर में अटकी है।
शासन का निर्देश है कि सभी सरकारी कार्यालय जनहित के कार्य पारदर्शी तरीके
से करने के लिए अद्यतन तकनीक का सहारा लें। यूपी बोर्ड को निर्देश है कि
मुख्यालय व क्षेत्रीय कार्यालयों में अभिभावक व छात्र-छात्रओं की भीड़ न
लगे, बल्कि उनसे जुड़ी सुविधाएं घर-बैठे मुहैया कराई जाए। इधर तमाम
छात्र-छात्रएं पिछले वर्षो के अंक व प्रमाणपत्र हासिल करने व उसे दुरुस्त
कराने के लिए दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे में अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने
निर्देश दिया था कि 1975 से लेकर अब तक के सारे अहम रिकॉर्ड वेबसाइट पर
अपलोड कर दिए जाएं। इस कदम से उसमें छेड़छाड़ भी नहीं हो सकेगी। ज्ञात हो
कि 2003 से लेकर 2018 तक के रिकॉर्ड वेबसाइट पर आ चुके हैं। पिछले वर्षो के
रिकॉर्ड को स्कैन करके ही अपलोड किया जा सकता है। इसके लिए बोर्ड प्रशासन
ने प्रदेश की कई एजेंसियों से संपर्क किया। कुछ संस्थाएं कार्य देखने बोर्ड
मुख्यालय तक पहुंची भी लेकिन, सभी ने कार्य करने से इन्कार कर दिया है,
क्योंकि पुराने रिकॉर्ड को स्कैन करना बेहद कठिन लग रहा है। यही नहीं इस
कार्य में कई करोड़ धन भी खर्च होना है, जब कार्य करने वाली संस्था नहीं
मिल रही है तब उसमें खर्च होने वाला प्रस्ताव भी अंतिम रूप नहीं ले पा रहा
है। बोर्ड अफसरों की मानें तो अब इस कार्य पूरा करने के लिए दिल्ली की कुछ
एजेंसियों से संपर्क किया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में यह कार्य आगे
बढ़े।
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