कानपुर। सर्वशिक्षा
अभियान के नाम पर सरकार हर वर्ष करोड़ों रूपए खर्च करती हैं, बावजूद सरकारी
स्कूलों के हालात जस के तस बने हुए हैं। ऐसा ही एक प्राथमिक स्कूल बिल्हौर
तहसील के खाड़ामऊ गांव में है।
यहां पर पदस्थ टीचर स्कूल माह में सिर्फ एक
-दो दिन ही आते हैं, जबकि बांकि के दिन स्कूल का संचालन रसोईया के हाथों
में होता है। वो बच्चों को भोजन करने के साथ ककहरा पढ़ाती है। गांववालों का
आरोप है कि टीचर उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जल्द ही
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराएंगे।
पड़ताल में खुली पोल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा था अधिकारियों से कहा था कि सरकारी स्कूलों को प्राईवेटों की तरह ढालें। बच्चों की अच्छी शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश का शिक्षा विभाग के अफसर व टीचर पलीता लगा रहे हैं। जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां आज भी टीचर समय से स्कूल नहीं आते। पत्रिका टीम ने बिल्हौर तहसील के खाड़ामऊ स्कूल जाकर पड़ताल की तो जो सच्चाई सामने आई उससे विभाग की पोल खोल कर रख दी हैं। यहां पर तीन टीचर पदस्थ हैं। जिनमें प्रधानाचार्य अनवर आलम, सहायक टीचर सरिता कटियार और विवेक कुमार के रूप में एक शिक्षा मित्र भी पदस्थ्य हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक माह से प्रधानचार्य और सहायक टीचर स्कूल नहीं आए। जबकि शिक्षामित्र कभी-कभार आते हैं और दोहर का भोजन कर चले जाते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा था अधिकारियों से कहा था कि सरकारी स्कूलों को प्राईवेटों की तरह ढालें। बच्चों की अच्छी शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश का शिक्षा विभाग के अफसर व टीचर पलीता लगा रहे हैं। जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां आज भी टीचर समय से स्कूल नहीं आते। पत्रिका टीम ने बिल्हौर तहसील के खाड़ामऊ स्कूल जाकर पड़ताल की तो जो सच्चाई सामने आई उससे विभाग की पोल खोल कर रख दी हैं। यहां पर तीन टीचर पदस्थ हैं। जिनमें प्रधानाचार्य अनवर आलम, सहायक टीचर सरिता कटियार और विवेक कुमार के रूप में एक शिक्षा मित्र भी पदस्थ्य हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक माह से प्रधानचार्य और सहायक टीचर स्कूल नहीं आए। जबकि शिक्षामित्र कभी-कभार आते हैं और दोहर का भोजन कर चले जाते हैं।
रसोईए के भरोसे स्कूल
टीचरों के नहीं आने से यहां पर पदस्थ महिला रसाईया सुबह बच्चों के लिए भोजन पकाती है। बच्चों को भोजन कराने के बाद वो एक घंटे तक उन्हें पढ़ाती है। रसोइया ने खुद कैमरे के सामने माना की स्कूल में एक भी टीचर समय से नहीं आते, जिसके चलते बच्चों को भविष्य चौपट हो रहा है। तबकि कक्षा चार की छात्रा अनुराधा ने कहा कि विवक सर एक सप्ताह पहले आए थे और कुछ देर रूकने के बाद चले गए। बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ गरीब बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा देने के लिए हर वर्ष करोड़ों रूपए खर्च कर रहे हैं। जनता के कर से टीचरों को वेतन देते हैं, पर वो बच्चों को पढ़ाने के बजाए अपने घर के कार्यो में व्यस्थ रहते हैं।
टीचरों के नहीं आने से यहां पर पदस्थ महिला रसाईया सुबह बच्चों के लिए भोजन पकाती है। बच्चों को भोजन कराने के बाद वो एक घंटे तक उन्हें पढ़ाती है। रसोइया ने खुद कैमरे के सामने माना की स्कूल में एक भी टीचर समय से नहीं आते, जिसके चलते बच्चों को भविष्य चौपट हो रहा है। तबकि कक्षा चार की छात्रा अनुराधा ने कहा कि विवक सर एक सप्ताह पहले आए थे और कुछ देर रूकने के बाद चले गए। बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ गरीब बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा देने के लिए हर वर्ष करोड़ों रूपए खर्च कर रहे हैं। जनता के कर से टीचरों को वेतन देते हैं, पर वो बच्चों को पढ़ाने के बजाए अपने घर के कार्यो में व्यस्थ रहते हैं।
कुछ इस तरह से बोले प्रधानाचार्य
स्कूल के प्रधानाचार्य अनवर आलम ने कहा कि एसडीएम के आदेशानुसार उनकी ड्यिटी एक से लेकर 31 अक्टूबर तक बतौर बीएलओ के रूप में की गई है। बताया, नजदीक के गांव में बनें धर्मशाला हमारी ड्यूटी लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने मजबूरी है। सरकारी आदेश का पालन करें य स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाएं। एक समय पर एक ही काम कर सकते हैं। अनवर आलम कहते हैं कि सहायक अध्यापिका की भी ड्यूटी मतदाता सूची के कार्य में लगाई गई है। वो समय निकाल कर स्कूल जाती हैं। जबकि शिक्षामित्र हरदिन स्कूल आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। जब मामले पर शिक्षामित्र से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने भी अपना दुखड़ा सुना दिया। कहा सरकार पैसे तो देती नहीं। ऐसे में हमें अपने परिवार को पेट पालने के लिए दूसरा काम करना पड़ता है।
स्कूल के प्रधानाचार्य अनवर आलम ने कहा कि एसडीएम के आदेशानुसार उनकी ड्यिटी एक से लेकर 31 अक्टूबर तक बतौर बीएलओ के रूप में की गई है। बताया, नजदीक के गांव में बनें धर्मशाला हमारी ड्यूटी लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने मजबूरी है। सरकारी आदेश का पालन करें य स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाएं। एक समय पर एक ही काम कर सकते हैं। अनवर आलम कहते हैं कि सहायक अध्यापिका की भी ड्यूटी मतदाता सूची के कार्य में लगाई गई है। वो समय निकाल कर स्कूल जाती हैं। जबकि शिक्षामित्र हरदिन स्कूल आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। जब मामले पर शिक्षामित्र से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने भी अपना दुखड़ा सुना दिया। कहा सरकार पैसे तो देती नहीं। ऐसे में हमें अपने परिवार को पेट पालने के लिए दूसरा काम करना पड़ता है।