प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 शिक्षकों की होने जा रही है। इसके अब लंवे
समय तक विवादित रहने की संभावना वढ़ गयी है। एक
तरफ जहां अभी भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा के
प्रश्नों के उत्तर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है वहीं
दूसरी ओर भर्ती के लिए शुरू काउंसलिंग भी स्थगित
हो गयी है।इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद
हुई की लखनऊ खण्डपीठ में अब 12 जुलाई है.
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सहायक
अध्यापकों के रिक्त 69000 पदों के लिए लिखित
परीक्षा सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र
प्रयागराज ने संपन्न करायी थी। रिजल्ट घोषित होने
के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के कई उत्तर बताते
हुए अपने उत्तर को सही और परीक्षा नियामक के
उत्तर को गलत करार देते हुए मामले को लेकर
कोर्ट चले गये है। सबसे बड़ी बात यह है कि परीक्षा
नियामक ने तीन प्रश्नों के उत्तर को विवादित होने से
बचाने के लिए सभी अभ्यर्थियों को तीन अंक
कामन दिये हैं। वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट
की लखनऊ खण्डपीठ ने अभ्यर्थियों की ओर से
प्रश्नों के उत्तर में संदेह की स्थिति को देखते हुए
आपत्तियों के सभी 142 प्रश्नों की जांच के लिए
निर्देश दिया है। इस प्रकार से सभी आपत्तियों की
जांच होने से जो तीन अंक कामन सभी अभ्यर्थियों
को दिये गये हैं वह स्वतः निरस्त हो जाएंगे। इससे
पूरी मेरिट एक बार फिर से प्रभावित हो जायेगी।
इस भर्ती का सबसे विवादित पहलू यह है कि
जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने आपत्तियां
आनलाइन ली तो उसमें 473 आपत्तियां आयी थी
लेकिन प्रश्नों के उत्तर को लेकर इलाहाबाद
हाईकोर्ट में 800 से अधिक अभ्यर्थी गये है उसमें से
190 ऐसे अभ्यर्थी है जिन्होंने आनलाइन आपत्तियां
दर्ज करायी हैं जबकि 710 अभ्यर्थी ऐसे है जिन्होंने
कोई आपत्ति दर्ज ही नहीं करायी है। इस भर्ती को
विवादित बनाने में ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थी तेजी
से लग गये हैं जिन्होंने अपने आवेदन पत्र में अपने
को ओबीसी दिखाया है लेकिन वह लोग मेरिट में
नही आ पाये हैंतो उनका तर्क है कि परीक्षा
नियामक लिखित परीक्षा में ओवर लैपिंग कराये
अर्थात जो ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी अधिक अंक
पारक सामान्य वर्ग में आ रहे हैं उनको उस कोटे में
नौकरी दी जाये। ओवर लैपिंग से रिक्त पदों पर
ओबीसी के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाये। उधर, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र प्रयागगाज अनिल
भूषण चतुर्वेदी का कहना हे कि लिखित परीक्षा में किसी भी प्रकार की कोई गड़वड़ी नहीं हुई है। जिस भी
अभध्यर्थ ने जिस वर्ग में आवेदन किया है उसका रिजल्ट उसी अनुसार आया है।
उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग को ओवर लैपिंग कराने का कोई प्रश्न नहीं है क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन
पत्र में जब ओवीसी लिखा है तो पहले ही वह आरक्षण पा गये है उनको दूसरे कोटे में पास नहीं कराया जा
सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रश्नों के उत्तर को लेकर कोई विवाद नहीं है बल्कि जो लोग फेल हो
गये है और जिनका चयन नहीं हो पाया है वह लोग भर्ती को फंसाने में लगे हुए हैं।
समय तक विवादित रहने की संभावना वढ़ गयी है। एक
तरफ जहां अभी भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा के
प्रश्नों के उत्तर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है वहीं
दूसरी ओर भर्ती के लिए शुरू काउंसलिंग भी स्थगित
हो गयी है।इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद
हुई की लखनऊ खण्डपीठ में अब 12 जुलाई है.
अध्यापकों के रिक्त 69000 पदों के लिए लिखित
परीक्षा सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र
प्रयागराज ने संपन्न करायी थी। रिजल्ट घोषित होने
के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के कई उत्तर बताते
हुए अपने उत्तर को सही और परीक्षा नियामक के
उत्तर को गलत करार देते हुए मामले को लेकर
कोर्ट चले गये है। सबसे बड़ी बात यह है कि परीक्षा
नियामक ने तीन प्रश्नों के उत्तर को विवादित होने से
बचाने के लिए सभी अभ्यर्थियों को तीन अंक
कामन दिये हैं। वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट
की लखनऊ खण्डपीठ ने अभ्यर्थियों की ओर से
प्रश्नों के उत्तर में संदेह की स्थिति को देखते हुए
आपत्तियों के सभी 142 प्रश्नों की जांच के लिए
निर्देश दिया है। इस प्रकार से सभी आपत्तियों की
जांच होने से जो तीन अंक कामन सभी अभ्यर्थियों
को दिये गये हैं वह स्वतः निरस्त हो जाएंगे। इससे
पूरी मेरिट एक बार फिर से प्रभावित हो जायेगी।
इस भर्ती का सबसे विवादित पहलू यह है कि
जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने आपत्तियां
आनलाइन ली तो उसमें 473 आपत्तियां आयी थी
लेकिन प्रश्नों के उत्तर को लेकर इलाहाबाद
हाईकोर्ट में 800 से अधिक अभ्यर्थी गये है उसमें से
190 ऐसे अभ्यर्थी है जिन्होंने आनलाइन आपत्तियां
दर्ज करायी हैं जबकि 710 अभ्यर्थी ऐसे है जिन्होंने
कोई आपत्ति दर्ज ही नहीं करायी है। इस भर्ती को
विवादित बनाने में ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थी तेजी
से लग गये हैं जिन्होंने अपने आवेदन पत्र में अपने
को ओबीसी दिखाया है लेकिन वह लोग मेरिट में
नही आ पाये हैंतो उनका तर्क है कि परीक्षा
नियामक लिखित परीक्षा में ओवर लैपिंग कराये
अर्थात जो ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी अधिक अंक
पारक सामान्य वर्ग में आ रहे हैं उनको उस कोटे में
नौकरी दी जाये। ओवर लैपिंग से रिक्त पदों पर
ओबीसी के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाये। उधर, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र प्रयागगाज अनिल
भूषण चतुर्वेदी का कहना हे कि लिखित परीक्षा में किसी भी प्रकार की कोई गड़वड़ी नहीं हुई है। जिस भी
अभध्यर्थ ने जिस वर्ग में आवेदन किया है उसका रिजल्ट उसी अनुसार आया है।
उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग को ओवर लैपिंग कराने का कोई प्रश्न नहीं है क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन
पत्र में जब ओवीसी लिखा है तो पहले ही वह आरक्षण पा गये है उनको दूसरे कोटे में पास नहीं कराया जा
सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रश्नों के उत्तर को लेकर कोई विवाद नहीं है बल्कि जो लोग फेल हो
गये है और जिनका चयन नहीं हो पाया है वह लोग भर्ती को फंसाने में लगे हुए हैं।