कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को सोमवार से खोला जाएगा। सभी शिक्षकों को स्कूल पहुंच कर नामांकन करने और अन्य तैयारियां करने के निर्देश हैं।
हालांकि शिक्षक इस आदेश से नाराज हैं, क्योंकि जब अभी तक स्कूल खुलने की कोई तारीख ही नहीं आई तो केजीबीवी खोलने का क्या औचित्य है? इस आदेश पर इसलिए भी आपत्ति है कि इन शिक्षकों को जून का मानदेय नहीं मिला।
प्रदेश के 746 केजीबीवी स्कूल हैं और यहां नए सत्र से स्कूल चलाने के लिए तैयारियां पूरी करने और नामांकन करने के निर्देश दिए गए हैं। यहां संविदा पर शिक्षक रखे जाते हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशान महिला शिक्षिकाएं हैं। इन स्कूलों में पूर्णकालिक शिक्षकों के तौर पर महिलाओं को रखा जाता है। इन महिला शिक्षकों को केजीबीवी के हॉस्टल में ही रहना पड़ता है। इन्हें 5 साल तक के बच्चे भी साथ में रखने की सुविधा दी गई है।
जिन महिलाओं के छोटे बच्चे हैं, वे इन्हें साथ लेकर जाने में डर रही हैं क्योंकि यहां पर कॉमन टॉयलेट होता हैं। लखनऊ में तैनात एक शिक्षिका कहना है कि हम ऑनलाइन एडमिशन भी ले रहे हैं। ग्राम प्रधानों से माध्यम से प्रवेश ले रहे हैं। 100 सीट हैं और हम 45 प्रवेश ले चुके हैं लेकिन इस नए आदेश से परेशानी बढ़ गई है।
हालांकि शिक्षक इस आदेश से नाराज हैं, क्योंकि जब अभी तक स्कूल खुलने की कोई तारीख ही नहीं आई तो केजीबीवी खोलने का क्या औचित्य है? इस आदेश पर इसलिए भी आपत्ति है कि इन शिक्षकों को जून का मानदेय नहीं मिला।
प्रदेश के 746 केजीबीवी स्कूल हैं और यहां नए सत्र से स्कूल चलाने के लिए तैयारियां पूरी करने और नामांकन करने के निर्देश दिए गए हैं। यहां संविदा पर शिक्षक रखे जाते हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशान महिला शिक्षिकाएं हैं। इन स्कूलों में पूर्णकालिक शिक्षकों के तौर पर महिलाओं को रखा जाता है। इन महिला शिक्षकों को केजीबीवी के हॉस्टल में ही रहना पड़ता है। इन्हें 5 साल तक के बच्चे भी साथ में रखने की सुविधा दी गई है।
जिन महिलाओं के छोटे बच्चे हैं, वे इन्हें साथ लेकर जाने में डर रही हैं क्योंकि यहां पर कॉमन टॉयलेट होता हैं। लखनऊ में तैनात एक शिक्षिका कहना है कि हम ऑनलाइन एडमिशन भी ले रहे हैं। ग्राम प्रधानों से माध्यम से प्रवेश ले रहे हैं। 100 सीट हैं और हम 45 प्रवेश ले चुके हैं लेकिन इस नए आदेश से परेशानी बढ़ गई है।