पिछले तीन दिनों में पुलिस की परीक्षा, शिक्षकों पर हाईकोर्ट का फैसला और वीडियो की ज्वाइनिंग.. ये मुद्दे प्रमुख रूप से छाए रहे। सीधे आम जन से जुड़े इन मुद्दों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब सवाल पूछे गए तो एक-एक कर उन्होंने सबके जवाब दिए। सबसे पहले उन्होंने पुलिस की भर्ती पर अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि हमने पिछले तीन वर्ष में 1.37 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की है। पुलिस भर्ती को सफलतापूर्वक करने में हम इसलिए सफल हुए क्योंकि हमारे पास प्रदेश में पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों की क्षमता 6 हजार की थी, हमने इसे बढ़ाया और आज हम 12 हजार लोगों की ट्रेनिंग एक साथ कर सकते हैं। लेकिन हमें भर्ती ज्यादा करनी थी इसलिए हमने पैरामिलिटरी और अन्य राज्यों के ट्रेनिंग सेंटर भी लिए। आज उनके सेंटरों पर भी उनकी नियुक्तियों की ट्रेनिंग चल रही है। इसलिए हमने अपने नए सिपाहियों को सेंटर उपलब्ध न होने के कारण वेटिंग पर रखा है। जैसे ही सेंटरों पर पुरानी ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी हम नए लोगों का मेडिकल कराकर इनकी ट्रेनिंग करवाएंगे। शिक्षकों की भर्ती पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मेरिट के आधार पर अच्छे शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए, वही हमने किया और जनरल की मेरिट 65 फीसदी तक लेकर गए। रिजर्व को 60 फीसदी तक किया। पहले जब हमने रिक्तियां निकाली थीं उसमें केवल 1.05 लाख लोगों ने आवेदन किया और जब रिजल्ट आया तो 41 हजार पास हुए।हम लोगों ने उन्हें ज्वाइन करा दिया। दूसरी बार 69000 की भर्ती निकाली। पहली बार बीएड को एनसीटीई ने पात्र नहीं माना था। जब पात्र नहीं था तो उस समय 1.05 लाख आवेदन आए। इस बार बीएड पात्र हैं तो 5 लाख से ज्यादा आवेदन आए तो स्वाभाविक रूप से मेरिट को आगे बढ़ाना पड़ा। अब ये कहना कि मेरिट को 40 या 45 पर रखना चाहिए तो ये राज्य सरकार या परीक्षा अथारिटी का दायित्व और अधिकार है कि वह मेरिट को किस रूप में रखे कि अच्छे लोग ही आएं। अंततः हाईकोर्ट की बेंच ने प्रदेश सरकार के निर्णय को सही माना। लेकिन जब तक काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू होती तब तक उसे स्टे कर दिया गया। कुछ लोग हैं जो हर अच्छे काम को रोकना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें चंदा वसूली करनी है। वे चंदा वसूली करके पीआईएल दाखिल करके बाधा डालते हैं। यह न्याय की लड़ाई है। राज्य सरकार युवाओं के हित में यह लड़ाई लड़ेगी। यह पूछने पर कि वे कौन लोग हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते कि युवाओं को रोजगार मिल सके, वे लोग हर अच्छे काम में बाधा डालने का प्रयास करते हैं। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है जिस मामले में, मुझे लगता है कि इसके बाद कोई बात सामने नहीं आने चाहिए थी। लेकिन ये न्याय की लड़ाई है और राज्य सरकार युवाओं के हित में इस लड़ाई को लड़ेगी और दूध का दूध पानी का पानी कर सबके सामने लाएगी। मुझे आश्चर्य होता है कि इस मामले मे जो तथ्य सामने लाए जा रहे हैं वे अपने आप में हास्यास्पद हैं। इन सबको कोर्ट में रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमने पिछले तीन वर्ष में 1.37 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की है। पुलिस भर्ती को सफलतापूर्वक करने में हम इसलिए सफल हुए क्योंकि हमारे पास प्रदेश में पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों की क्षमता 6 हजार की थी, हमने इसे बढ़ाया और आज हम 12 हजार लोगों की ट्रेनिंग एक साथ कर सकते हैं। लेकिन हमें भर्ती ज्यादा करनी थी इसलिए हमने पैरामिलिटरी और अन्य राज्यों के ट्रेनिंग सेंटर भी लिए। आज उनके सेंटरों पर भी उनकी नियुक्तियों की ट्रेनिंग चल रही है। इसलिए हमने अपने नए सिपाहियों को सेंटर उपलब्ध न होने के कारण वेटिंग पर रखा है। जैसे ही सेंटरों पर पुरानी ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी हम नए लोगों का मेडिकल कराकर इनकी ट्रेनिंग करवाएंगे। शिक्षकों की भर्ती पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मेरिट के आधार पर अच्छे शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए, वही हमने किया और जनरल की मेरिट 65 फीसदी तक लेकर गए। रिजर्व को 60 फीसदी तक किया। पहले जब हमने रिक्तियां निकाली थीं उसमें केवल 1.05 लाख लोगों ने आवेदन किया और जब रिजल्ट आया तो 41 हजार पास हुए।हम लोगों ने उन्हें ज्वाइन करा दिया। दूसरी बार 69000 की भर्ती निकाली। पहली बार बीएड को एनसीटीई ने पात्र नहीं माना था। जब पात्र नहीं था तो उस समय 1.05 लाख आवेदन आए। इस बार बीएड पात्र हैं तो 5 लाख से ज्यादा आवेदन आए तो स्वाभाविक रूप से मेरिट को आगे बढ़ाना पड़ा। अब ये कहना कि मेरिट को 40 या 45 पर रखना चाहिए तो ये राज्य सरकार या परीक्षा अथारिटी का दायित्व और अधिकार है कि वह मेरिट को किस रूप में रखे कि अच्छे लोग ही आएं। अंततः हाईकोर्ट की बेंच ने प्रदेश सरकार के निर्णय को सही माना। लेकिन जब तक काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू होती तब तक उसे स्टे कर दिया गया। कुछ लोग हैं जो हर अच्छे काम को रोकना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें चंदा वसूली करनी है। वे चंदा वसूली करके पीआईएल दाखिल करके बाधा डालते हैं। यह न्याय की लड़ाई है। राज्य सरकार युवाओं के हित में यह लड़ाई लड़ेगी। यह पूछने पर कि वे कौन लोग हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते कि युवाओं को रोजगार मिल सके, वे लोग हर अच्छे काम में बाधा डालने का प्रयास करते हैं। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है जिस मामले में, मुझे लगता है कि इसके बाद कोई बात सामने नहीं आने चाहिए थी। लेकिन ये न्याय की लड़ाई है और राज्य सरकार युवाओं के हित में इस लड़ाई को लड़ेगी और दूध का दूध पानी का पानी कर सबके सामने लाएगी। मुझे आश्चर्य होता है कि इस मामले मे जो तथ्य सामने लाए जा रहे हैं वे अपने आप में हास्यास्पद हैं। इन सबको कोर्ट में रखा जाएगा।
शिक्षक भर्ती :जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है सारा काम उसी के अनुरूप हुआ है। सारे तथ्य सुप्रीम कोर्ट के अनुरूप हैं। राज्य सरकार की कोई गलती नहीं। कुछ लोग हर काम में अड़ंगा लगाते हैं।