कभी आईएएस की फैक्ट्री कहा जाने वाला प्रयागराज अब धीरे-धीरे प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करने वालों का गढ़ बनता जा रहा है। हाईकोर्ट की भर्ती, सेना की भर्ती, रेलवे भर्ती, पुलिस विभाग की भर्ती, मेडिकल परीक्षा या फिर शिक्षक भर्ती। कोई भी नौकरी हो प्रयागराज में परीक्षा से पूर्व ही नकल माफिया सक्रिय होकर अभ्यर्थियों से पास कराने के लिए ठेका लेने लगते हैं। परीक्षा पास कराने से लेकर नियुक्ति तक की सेटिंग करने का दावा करते हैं।
इस फर्जीवाड़ा का दवा हम नहीं करते, बल्कि खुद पुलिस और एसटीएफ ने गैंग का खुलासा करके यह साबित कर दिया कि यहां कोई भी परीक्षा ऐसी नहीं है जिसमें सॉल्वर गैंग व नकल माफिया सक्रिय न रहे हो। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में भी फर्जीवाड़े का आरोप लग रहा था।
गुरुवार रात पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉ कृष्ण लाल पटेल समेत आठ लोग के पकड़े जाने के बाद यह सच भी सामने आ गया। बीते दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने सॉल्वर और नकल माफियाओं को गिरफ्तार *किया था।
नवंबर 2017- हाईकोर्ट भर्ती एसटीएफ ने हाईकोर्ट की 12 नवम्बर को होने वाली परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह का पर्दाफास करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया था। उनके कब्जे से ढाई लाख नगद एवं 14 चेक और बाहर ब्लूटूथ एवं चार डिवाइस बरामद किया है।
जनवरी 2020-सेना भर्ती एसटीएफ ने सेना में भर्ती एवं मेडिकल में पास कराने वाले रैकेट को संचालित करने वाले सेना के दो जवानों सहित 04 अभियुक्तों को भारी 2.75 लाख रुपये व अन्य कागजात संग सिविल लाइंस में गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपियों में प्रदीप सिंहं यादव, संजय कुमार पाण्डेय, मनीष सिंह यादव और त्रिपतीनाथ सरोज को जेल भेजा था।
जून 2018 -सिपाही भर्ती सिपाही भर्ती में भी पास कराने का ठेका लेने वाले नकल माफियाओं को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने सरायममरेज के कौशल सिंह पटेल, भदोही निवासी नितिन शुक्ल, बलिया निवासी सतेन्द्र सिंह, मेजा निवासी इमरान अली, उतरांव निवासी इरफान और बिहार के आरा जिले का रहने वाला पवन कुमार सिंह को अरेस्ट किया था। इनके पास से डेढ़ लाख कैश, दस मोबाइल सेट, 11 ऐडमिट कार्ड, नौ आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, दो ड्राइविंग लाइसेंस, 34 चेक और 20 जाली फिंगर प्रिंट बरामद हुआ था।
सितंबर 19-लोअर सबऑर्डिनेट उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबऑर्डिनेट परीक्षा 2019 में अवैध रूप से धन प्राप्त कर अभ्यर्थियों को पास कराने के आरोप में अहमद अली, अरुण कुमार यादव, संदीप कुमार यादव, मो. शफीउल्लाह और अमन सरोज को एसटीएफ ने शिवकुटी से गिरफ्तार किया था। 30 सितंबर और एक अक्टूबर को होने वाली इस परीक्षा में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से अभ्यर्थियों को नकल कराने की तैयारी थी।
इस फर्जीवाड़ा का दवा हम नहीं करते, बल्कि खुद पुलिस और एसटीएफ ने गैंग का खुलासा करके यह साबित कर दिया कि यहां कोई भी परीक्षा ऐसी नहीं है जिसमें सॉल्वर गैंग व नकल माफिया सक्रिय न रहे हो। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में भी फर्जीवाड़े का आरोप लग रहा था।
गुरुवार रात पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉ कृष्ण लाल पटेल समेत आठ लोग के पकड़े जाने के बाद यह सच भी सामने आ गया। बीते दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने सॉल्वर और नकल माफियाओं को गिरफ्तार *किया था।
नवंबर 2017- हाईकोर्ट भर्ती एसटीएफ ने हाईकोर्ट की 12 नवम्बर को होने वाली परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह का पर्दाफास करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया था। उनके कब्जे से ढाई लाख नगद एवं 14 चेक और बाहर ब्लूटूथ एवं चार डिवाइस बरामद किया है।
जनवरी 2020-सेना भर्ती एसटीएफ ने सेना में भर्ती एवं मेडिकल में पास कराने वाले रैकेट को संचालित करने वाले सेना के दो जवानों सहित 04 अभियुक्तों को भारी 2.75 लाख रुपये व अन्य कागजात संग सिविल लाइंस में गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपियों में प्रदीप सिंहं यादव, संजय कुमार पाण्डेय, मनीष सिंह यादव और त्रिपतीनाथ सरोज को जेल भेजा था।
जून 2018 -सिपाही भर्ती सिपाही भर्ती में भी पास कराने का ठेका लेने वाले नकल माफियाओं को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने सरायममरेज के कौशल सिंह पटेल, भदोही निवासी नितिन शुक्ल, बलिया निवासी सतेन्द्र सिंह, मेजा निवासी इमरान अली, उतरांव निवासी इरफान और बिहार के आरा जिले का रहने वाला पवन कुमार सिंह को अरेस्ट किया था। इनके पास से डेढ़ लाख कैश, दस मोबाइल सेट, 11 ऐडमिट कार्ड, नौ आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, दो ड्राइविंग लाइसेंस, 34 चेक और 20 जाली फिंगर प्रिंट बरामद हुआ था।
सितंबर 19-लोअर सबऑर्डिनेट उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबऑर्डिनेट परीक्षा 2019 में अवैध रूप से धन प्राप्त कर अभ्यर्थियों को पास कराने के आरोप में अहमद अली, अरुण कुमार यादव, संदीप कुमार यादव, मो. शफीउल्लाह और अमन सरोज को एसटीएफ ने शिवकुटी से गिरफ्तार किया था। 30 सितंबर और एक अक्टूबर को होने वाली इस परीक्षा में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से अभ्यर्थियों को नकल कराने की तैयारी थी।